नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में अयोध्या (Ayodhya) धाम भगवान राम की महिमा की कथा गाती रही है। यहां श्री राम के जन्म के समय से लेकर उनके बैकुंठ धाम की यात्रा तक साक्षी बनी इस नगरी की बहती अविरल सरयू धारा आज भी अयोध्या में विद्यमान है। बताया जाता है कि भगवान राम ने अयोध्या […]
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में अयोध्या (Ayodhya) धाम भगवान राम की महिमा की कथा गाती रही है। यहां श्री राम के जन्म के समय से लेकर उनके बैकुंठ धाम की यात्रा तक साक्षी बनी इस नगरी की बहती अविरल सरयू धारा आज भी अयोध्या में विद्यमान है। बताया जाता है कि भगवान राम ने अयोध्या नगरी का चयन अपने जन्म से लेकर बैकुंठ लोक जाने तक के लिए किया था। यही कारण है कि आज भी यह भूमि सभी धार्मिक स्थानों में सर्वोच्च स्थान पर है।
श्रीराम ने अयोध्या में 11 हजार वर्ष तक राज किया
हत्वा क्रूरं दुराधर्षं देवर्षीणां भयावहम्।
दशवर्षसहस्राणि दशवर्षशतानि च॥
वत्स्यामि मानुषे लोके पालयन् पृथिवीमिमाम्।
वाल्मिकी रामायण में यह वर्णन मिलता है कि जब भगवान राम, रावण का संहार कर के अयोध्या लौटे, तो उन्होंने 11 हजार वर्षों तक अयोध्या का राजपाट संभाला और जब उनके देह त्यागने का समय आया तो वह अयोध्या के इस पवित्र घाट पर आए।
रामायण के मुताबिक, जब भगवान राम के देह त्यागने का समय आया तो वह अयोध्या (Ayodhya) स्थित गुप्तार घाट आए थे। जहां उनके साथ समस्त अयोध्यावासी और जीव, जो उनकी लीला में शामिल थे वह भी उनके साथ इस गुप्तार घाट पर आए। ये समस्त प्राणी 33 कोटि के वही देवी-देवता थे जो उनकी लीला में सम्मलित होने के लिए पृथ्वी पर देह धारण कर के अवतरित हुए थे। अब भगवान राम के अयोध्या (Ayodhya) नगरी से अपने बैकुंठ धाम पधारने का समय हो चुका था। इस दौरान उन्होंने अपनी खड़ाऊ उतार कर रख दी और गुप्तार घाट के समीप सरयू जल में जाने लगे।
उस समय हनुमान जी ने कहा कि प्रभु आपके बिना में क्या करूंगा? मुझे भी अपने साथ ले चलें। तब श्री राम ने हनुमान जी से कहा, हनुमान आपको कलयुग तक रहना है। धर्म का पालन करने वाले भक्तों की आपको कलयुग तक रक्षा करनी है। मैं धर्म की स्थापना के लिए पुनः द्वापर में कृष्ण और कलयुग में कल्कि के अवतार में जन्म लूंगा। इस तरह हनुमान जी ने प्रभु श्री राम की आज्ञा का पालन किया।
इसके बाद भगवान राम ने जैसे ही सरयू नदी के जल में प्रवेश किया वह अपने साक्षात् विष्णु रूप में प्रकट हो गए। जिसके बाद ब्रह्मा जी ने उन्हें प्रणाम किया और 33 कोटि के देवी-देवताओं को उनके उत्तम लोक पुनः प्रदान करने का वचन दिया। जिसके बाद प्रभु श्री राम सरयू नदी के जल में अंतर्ध्यान हो गए और अपने बैकुंठ लोक पधारे।
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तभी से यह माना जाता है कि भगवान राम के जो भक्त राम मंदिर के दर्शन करने अयोध्या(Ayodhya) आते हैं वह अंत में इस जगह के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य समझते हैं। यही नहीं, शास्त्रों के अनुसार, इस जगह को पृथ्वी का स्वर्ग और भगवान विष्णु का निवास स्थान भी कहा गया है। जहां लोग सरयू स्नान करते हैं।
इस जगह पर भगवान राम और माता जानकी का एक प्राचीन मंदिर भी स्थित है। साथ ही पास पंचमुखी हनुमान जी का मंदिर, भगवान विष्णु का गुप्तहरि मंदिर, मरी माता का मंदिर, नरसिंह भगवान का मंदिर और पंचमुखी महादेव का प्राचीन मंदिर भी स्थित है। मान्यता के अनुसार, यहां दर्शन करने मात्र से जीवन के सभी कष्ट मिट जाते हैं और भगवान राम की कृपा इस उत्तम धाम में अवश्य प्राप्त होती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। )