नई दिल्ली: विजया एकादशी हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और पवित्र मानी जाती है। यह एकादशी फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में आती है और इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से समस्त पापों का नाश होता है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन इस दिन कुछ विशेष गलतियों से बचना आवश्यक है, नहीं तो व्रत भंग होने के साथ-साथ भगवान विष्णु की कृपा से भी वंचित रह सकते हैं। आइए जानते हैं कि विजया एकादशी के दिन किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
विजया एकादशी के दिन व्रतधारी को अन्न का सेवन पूरी तरह से त्याग देना चाहिए। इस दिन चावल, गेहूं, मसूर की दाल और मांसाहारी भोजन का सेवन वर्जित होता है। इसके अलावा लहसुन, प्याज और अधिक तैलीय भोजन भी निषिद्ध माना गया है।
शास्त्रों के अनुसार, एकादशी के दिन क्रोध करना, किसी से विवाद करना और अपशब्द कहना पुण्य को नष्ट कर सकता है। इस दिन शांत मन से भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए और किसी के प्रति दुर्भावना नहीं रखनी चाहिए।
इस पावन दिन पर सत्य का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यदि कोई व्यक्ति झूठ बोलता है या किसी को धोखा देता है, तो उसे एकादशी व्रत का पूरा फल नहीं मिलता।
व्रतधारियों को एकादशी की रात जागरण करना चाहिए और भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन में मन लगाना चाहिए। इसके साथ ही सुबह जल्दी उठकर स्नान और पूजन करना अनिवार्य है। देर से उठने पर व्रत का पुण्य घट जाता है।
एकादशी का व्रत तभी पूर्ण माना जाता है जब इस दिन दान-पुण्य किया जाए। इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
विजया एकादशी के दिन घर में अशांति नहीं होनी चाहिए। पति-पत्नी या परिवार के अन्य सदस्यों के बीच विवाद होने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, जिससे व्रत का पुण्य कम हो जाता है।
इस दिन कांसे और लोहे के बर्तनों का उपयोग वर्जित होता है। इसके स्थान पर तांबे, पीतल या मिट्टी के बर्तनों में भोजन करने का नियम है।
व्रत के दौरान शरीर की शुद्धता बनाए रखना जरूरी होता है। इस दिन बाल, नाखून और दाढ़ी काटना वर्जित माना जाता है।
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