Astro : पूजा-आराधना करना न सिर्फ आध्यात्मिक कार्य है बल्कि इससे हमारे मन को भी शांति मिलती है. इतना ही नहीं, श्रद्धा से की गई पूजा-अर्चना से भगवान भी प्रसन्न होते हैं जिससे हमारी मनोकामना पूरी होती हैं. लेकिन आपको बता दें कि ऐसा भी होता है कि हम पूजा-अर्चना बड़ी ही प्रेम की भावना […]
Astro : पूजा-आराधना करना न सिर्फ आध्यात्मिक कार्य है बल्कि इससे हमारे मन को भी शांति मिलती है. इतना ही नहीं, श्रद्धा से की गई पूजा-अर्चना से भगवान भी प्रसन्न होते हैं जिससे हमारी मनोकामना पूरी होती हैं. लेकिन आपको बता दें कि ऐसा भी होता है कि हम पूजा-अर्चना बड़ी ही प्रेम की भावना से करते हैं, लेकिन फिर भी हमारे ऊपर इसका सकारत्मक प्रभाव नहीं पड़ता है.
ऐसा इसलिए क्योंकि जाने-अनजाने ही गलत तरीके से पूजा करने पर वास्तु दोष लगता है. वास्तु के मुताबिक, पूजा अर्चना के कुछ ऐसे नियम होते हैं और अगर इन नियमों का ठीक तरीके से पालन न किया जाए तो हमारी पूजा विफल हो सकती है. चलिए आपको बताते हैं कि पूजा के दौरान आपको किन नियमों का पालन करना चाहिए.
पुष्प भगवान की पसंदीदा चीजों में से एक है और पूजा-आराधना में ये बहुत अहमियत रखते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ फूल ऐसे भी होते हैं जो किसी देव या देवी विशेष को अप्रिय होते हैं.मान्यता है कि ऐसे भगवानों को उनकी पसंद को नजर में रखकर ही फूल चढ़ाना चाहिए. इस बात का भी ख्याल रखें कि आपको हमेशा खिले हुए फूल ही चढ़ाना चाहिए.
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक पूजा करते समय आपको कलश को ईशान कोण यानी कि पूर्व-पश्चिम की ओर रखना चाहिए। आपको बता दें कि कलश को आग्नेय कोण यानी कि दक्षिण पूर्व में भी रखना भी काफी शुभ माना जाता है. पूजा घर व स्थल में आप दीपक और कलश को एक-दूसरे से दूर रखें।
पूजा करते समय आपको हमेशा स्वच्छ आसन पर ही बैठना चाहिए, बगैर आसन पर बैठ कर पूजा-अर्चना करना विफल साबित हो सकता है. इसके अलावा आसन का रंग आप अपनी राशि के हिसाब से चुनें।
हमारे द्वारा की गई पूजा सही मायनो में सफल तब होती है जब हम आराधना को बिना किसी स्वार्थ के करें, पूजा करते समय हमारा मन एवं भाव पूरी तरह से शुद्ध होना चाहिए. यदि पूजा के दौरान आपके मन में श्रद्धा भाव न होकर छल व स्वार्थ की भावना होती है तो जाहिर है कि आपका भगवान का ध्यान करना व्यर्थ है.
अगर आप पूजा-अर्चना व भगवान के ध्यान पर विश्वास करते हैं, तो ये अच्छी बात है लेकिन आपको बता दें कि पूजा का दिखावा करना जरा भी सही नहीं है. पूजा को लेकर अभिमान होना तो सबसे व्यर्थ है. जैसे कि आपने किस तरह की पूजा की, इसमें आपका इतना खर्च आया ऐसी बातों का ज़िक्र अच्छा नहीं हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए इनख़बर किसी भी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है.)