अध्यात्म

Astro: श्राद्ध कर्म से पितरों के अलावा खुद को भी होता है ये लाभ, जानें क्या करना है सही

नई दिल्ली: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, पितृपक्ष में अपने पूर्वजों के श्राद्ध कर्म का प्रावधान है. आपको बता दें, श्राद्ध से सिर्फ पितर ही नहीं प्रसन्न होते हैं, बल्कि इससे आपके स्वयं के कर्म भी दृढ़ होते हैं. यानी आपके पितर तरने के साथ ही आपका खुद का भी कल्याण होता है. ऐसे में एक बात और है कि श्राद्ध कर्म केवल तीन पीढ़ी तक ही किया जाता है. जी हां आपको बता दें कि ऐसी मान्यता है कि मृत आत्मा को पुनः शरीर प्राप्त करने या मोक्ष होने का समय तीन पीढ़ी से ज्यादा नहीं होता है.

शास्त्रों में इस बात का है उल्लेख

शास्त्रों में कहा गया है कि पितृ पक्ष की समाप्ति होने पर पितृगण पितृलोक की ओर प्रस्थान करते हैं. अतः पितृ विसर्जनी अमावस्या के दिन शाम के समय आप पितरों को भोग लगाकर घर की दहलीज पर दीपक जला कर प्रार्थना करें कि, हे पितृदेव जाने- अनजाने में जो भी भूल-चूक हुई हो, उसे क्षमा करें और हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए आशीर्वाद दें.

पितृपक्ष में किस राशि वाले क्या दान करें

विष्णु पुराण के मुताबिक, पितृपक्ष में दान देने का काफी महत्व बताया गया है। अगर राशियों के मुताबिक, पूर्वजों की स्मृति में दान किया जाए तो यह आने वाली पीढ़ियों के लिए काफी लाभप्रद माना जाता है।

मेष- भूमि दान या लाल वस्तुओं का दान, तांबा का दान करें.

वृष- सफेद गाय का दान या फिर कन्या को मीठी खीर खिलाएं.

मिथुन- आंवला, अंगूर, मूंग या फिर मूंग की दाल का दान.

कर्क- नारियल, जौ, धान आधी का दान लाभदायक

सिंह- सोना, खजूर, अन्न आदि का दान करें

कन्या- गुड़, आंवला या फिर अंगूर, मूंगा, आदि का दान.

तुला- खीर दान, दूध से बनी वस्तुओं का दान है बेहद लाभदायक

वृश्चिक- भूमि दान या फिर मिट्टी के ढेले व बर्तन का दान.

धनु- राम नाम लिखा वस्त्र, अंगोछा आदि का दान भी है फलदायक

मकर- तिल के तेल व तिल का दान करें।

कुंभ- तिल का दान, तेल से बने पदार्थ का दान जरूर करें।

मीन- धार्मिक पुस्तक जैसे गीता आदि का दान करना बेहद शुभ

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए इनख़बर किसी भी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है.)

 

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Amisha Singh

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