नई दिल्लीः हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवलोक में इंद्र देव के लिए अप्सराओं का नृत्य का खास आयोजन किया जाता था। इन आयोजनों में इंद्र के अलावा किसी भी पुरुष को जाने की अनुमति नही थी। एक बार सूर्यदेव के सारथी अरुण के मन में भी अप्सराओं को देखने की लालसा हुई। उन्होंने एक सुंदर स्त्री का वेष धारण कर लिया और अप्सराओं की भीड़ में घुस गए।
अप्सरोओं की भीड़ में इंद्र ने अरुण को देख लिया। इंद्र देव अरुण के स्त्री रूप की सुंदरता देख कर मोहित हो गए। इंद्र ने अरुण के साथ संबंध बनाए, जिससे उनका एक पुत्र हुआ। उनके पुत्र को नाम बाली पड़ा। जब सूर्य को इस बात का पता चला तो उन्होंने भी अरुण के स्त्री रूप को देखने की इच्छा जताई। सूर्य देव भी अरुण के इस रूप को देख खुद को रोक नहीं पाए। इसके बाद सूर्य और अरुण ने भी एक पूत्र को जन्म दिया, जिसका नाम सुग्रीव हुआ।
अरुण देव को इस बात पर बहुत शर्म आ रही थी इसलिए इंद्र और सूर्य ने इन दोनों पुत्रों को अहिल्या को सौंप दिया और गौतम ऋषि से कहा कि वे इन्हें अपने पुत्रों की तरह पालें। एक बात और थी, गौतम ऋषि और अहिल्या की एक पुत्री थी जिसका नाम अंजना था, जो स्वर्ग की अप्सरा पुंजिकस्थला का अवतार थी, उसने इंद्र और अहिल्या की बातचीत सुनी और अपने पिता को बताया। इस पर गौतम ऋषि ने बाली और सुग्रीव दोनों को बंदर बनने का श्राप दे दिया। हालांकि इस बात की कोई ठोस पुष्टि नहीं है कि ऐसा हुआ होगा, लेकिन बाली, सुग्रीव और अंजना के जन्म की कोई अन्य कहानी नहीं है जो इसे झूठा साबित कर सके।
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