नई दिल्ली: श्रीकृष्ण, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, के जीवन में उनकी माताओं की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण थी। हम अक्सर देवकी और यशोदा को उनकी माताओं के रूप में जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्रीकृष्ण की एक तीसरी मां भी थीं? उनका नाम था “रोहिणी देवी”।
रोहिणी देवी, वसुदेव की पहली पत्नी थीं। जब कंस ने वसुदेव और देवकी को कारागार में बंद किया, तब वसुदेव के अन्य बच्चे रोहिणी देवी की देखरेख में पल रहे थे। वसुदेव के आठवें पुत्र, श्रीकृष्ण के जन्म के समय भी, रोहिणी मथुरा में नहीं थीं, बल्कि गोकुल में निवास कर रही थीं।
जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, वसुदेव ने उन्हें गोकुल में नंद और यशोदा के पास सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया। रोहिणी देवी, जो उस समय गोकुल में रह रही थीं, ने न केवल बलराम का पालन-पोषण किया, बल्कि श्रीकृष्ण के जीवन में भी उनका विशेष स्थान था। श्रीकृष्ण के बचपन में रोहिणी देवी ने माता यशोदा के साथ मिलकर उनकी देखभाल की और उन्हें स्नेह दिया।
रोहिणी देवी का श्रीकृष्ण के प्रति स्नेह माता यशोदा से कम नहीं था। उनके द्वारा श्रीकृष्ण और बलराम दोनों का पालन-पोषण किया गया और उन्होंने उन्हें संस्कार दिए। महाभारत और भागवत पुराण में इस बात का उल्लेख है कि कैसे रोहिणी ने श्रीकृष्ण और बलराम की बाल लीलाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
धर्मग्रंथों में रोहिणी देवी को एक आदर्श मां के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिन्होंने अपने पुत्र बलराम और सौतेले पुत्र श्रीकृष्ण को समान स्नेह दिया। उनकी देखरेख में ही दोनों भाई बड़े हुए और उन्होंने अपने जीवन की शुरुआती लीलाएं गोकुल में कीं।
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