नई दिल्ली. संपूर्ण विश्व के अधिपति विश्वनाथ की अर्धांगिनी मां अन्नपूर्णा की जयंती करीब है ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि यह जयंती ( Annapurna Jayanti ) किस दिन मनाई जाएगी और आप किस तरह से पूजन करेंगे तो आपको कभी धन की कमी नहीं होगी.
माँ अन्नपूर्णा की पूजा मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन विशेष रूप से की जाती है. दरअसल, इस दिन माँ का जन्मोत्सव यानी जयंती मनाई जाती है. इस बार यह पर्व 19 दिसंबर यानि की रविवार को पड़ रहा है. इसी दिन माँ अन्नपूर्णा की जयंती मनाई जाएगी. माता से जुडी एक कथा इस प्रकार है कि जब पृथ्वी पर लोगों के पास खाने के लिए कुछ नहीं था तो मां पार्वती ने अन्नपूर्णा का रूप लेकर पृथ्वी को इस संकट से निकाला था. इसी दिन से लोगों ने माँ अन्नपूर्णा जयंती माननी शुरू की थी.
माँ अन्नपूर्णा की जयंती मनुष्य के जीवन में अन्न के महत्व को दर्शाता है. इस दिन रसोई की सफाई और अन्न का सदुपयोग बहुत जरूरी होता है. पारम्परिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन रसोई की सफाई करने और अन्न का सदुपयोग करने से मनुष्य के जीवन में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती.
निश्चित रूप से माँ अन्नपूर्णा की जयंती के दिन माँ के विशिष्ठ पूजन का महत्व होता है. ब्रह्मवैवर्त्तपुराण के काशी रहस्य अनुसार भवानी अर्थात पार्वती ही अन्नपूर्णा हैं. इस दिन व्रत रखने वालों की माता सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. व ऐसे व्यक्ति के घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती. माँ अन्नपूर्णा देवी हिन्दू धर्म में मान्य देवी-देवताओं में विशेष रूप से पूजनीय हैं. इन्हें मां जगदम्बा का ही एक रूप माना गया है, जिनसे सम्पूर्ण विश्व का संचालन होता है. इनसे ही जगदम्बा के अन्नपूर्णा स्वरूप से संसार का भरण-पोषण होता है. बता दें कि इस बार माँ अन्नपूर्णा की जयंती का पूजन मुहूर्त- प्रातः 08:20 से 11:45 तक है.
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