Angarki Sankashti Chaturthi 2018: जानें अंगारकी संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त

Angarki Sankashti Chaturthi 2018: वर्ष भर में जितनी भी संकष्टी पड़ती हैं उनमे अंगारकी संकष्टी का विशेष महत्व है. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार, चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत करना फलदायी माना जाता है.

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Angarki Sankashti Chaturthi 2018: जानें अंगारकी संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त

Aanchal Pandey

  • March 31, 2018 1:07 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. अप्रैल के महीने की शुरुआत में अंगारकी संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है. वर्ष भर में जितनी भी संकष्टी पड़ती हैं उनमे अंगारकी संकष्टी का विशेष महत्व है. माना जाता है की इस दिन उपवास कर गणपति की आराधना करने से वर्ष भर के संकष्टी पूजन का फल मिलता है. पूर्णिमा के पश्चात पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है.

अंगारकी संकष्टी चतुर्थी पूजा की विधि
प्रातः काल स्नान आदि कर स्वछ होकर लाल वस्त्र धारण करें. गणपति की मूर्ति स्थापित करें. पंचामृत से, कच्चे दूध से एवं गंगाजल से उन्हें स्नान कर कर , उन्हें लाल वस्त्र, मोदक, दूर्वा, जामुन, गुल्हड के फूल , तिल के लड्डू अर्पित करें. धूप दीप जला कर, रोलि, अक्षत, चंदन, अष्टगंध आदि से षोडशोपचार द्वारा पूजन करना चाहिए. इसके पश्चात गणपति का ध्यान कर अथर्व स्त्रोत का पाठ करें , दिन भर उनका स्मरण कर

“ॐ ग़ं गणपतए नमः” का जप करना चाहिए.
गणपति विघ्नहरता माने जाते हैं आपके समस्त कष्टों को दूर कर सकते हैं. जीवन में जो भी समस्याएं हों , गणपति की शरण में जाने से वह दूर हो जाती हैं. गणपति को समस्त देवताओं में प्रथम पूजनीय माना जाता है. कोई भी शुभ कार्य करने से पहले गणपति की आराधना पहले की जाती है फिर वह कार्य शुरू किया जाता है.

अंगारकि संकष्टी को चंद्रमा की किरण गणपति पर पड़ें तो उस समय अथर्वशीर्ष का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है. चंद्र दर्शन के पश्चात ही इस व्रत को समाप्त किया जाता है.माना जाता है की भगवान शिव ने भी इस व्रत को किया था एवं इस दिन गणपति के साथ, माता पार्वती, भगवान शिव जी एवं चंद्रमाका पूजन करना चाहिए.दिन भर व्रत रख कर संध्या में पूर्व मुखी हो कर या फिर ईशान कोण, या उत्तर दिशा की तरफ मुख कर गणपति आराधना के पश्चात चंद्र दर्शन करने के बाद व्रत तोड़े. इस दिन व्रत करने से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है एवं समस्त विघ्नों का नाश होता है इसीलिए गणपति को विघ्नहर्ता भी बोला गया है.
चंद्रोदय समय : 21: 27

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