नई दिल्ली : बॉलीवुड की बहुप्रतीक्षित फिल्म ब्रह्मास्त्र कुछ ही समय में रिलीज़ होने वाली है. जहां इस फिल्म की चर्चा जोरों पर है. इसी बीच बायकॉट ट्रेंट ने भी रफ़्तार पकड़ ली है. बता दें, यह फिल्म भारत के पुराने ऐतिहासिक अस्त्रों पर आधारित है. इस फिल्म में आपको ब्रह्मास्त्र के बारे में जानकारी […]
नई दिल्ली : बॉलीवुड की बहुप्रतीक्षित फिल्म ब्रह्मास्त्र कुछ ही समय में रिलीज़ होने वाली है. जहां इस फिल्म की चर्चा जोरों पर है. इसी बीच बायकॉट ट्रेंट ने भी रफ़्तार पकड़ ली है. बता दें, यह फिल्म भारत के पुराने ऐतिहासिक अस्त्रों पर आधारित है. इस फिल्म में आपको ब्रह्मास्त्र के बारे में जानकारी मिलेगी जो कि ब्रह्मांड का सबसे बड़ा अस्त्र माना गया है. लेकिन आज हम फिल्म की बात नहीं करने जा रहे हैं. आज हम आपको अस्त्रों और शस्त्र का अंतर बताने जा रहे हैं और साथ ही यह भी कि अग्नि पुराण में किन ताकतवर शस्त्रों का ज़िक्र है.
प्राचीन युग में हथियारों को दो तरह का बताया गया है. इनमें पहला शस्त्र (Shastra) है और दूसरा अस्त्र होता है. शस्त्र जो हाथ में पकड़कर चलाया जाए उदाहरण के तौर पर – तलवार, गदा, भाला, फरसा, कुल्हाड़ी, हथौड़ा आदि और दूसरी तरफ अस्त्र (Astra) जो मिसाइल जैसे हथियार होते हैं जिन्हें मंत्रों के उच्चारण से चलाया जाता है. फिल्म में अस्त्रों का ही ज़िक्र किया गया है. इन अस्त्रों को अग्नि पुराण में पांच तरीके से बांटा गया है. आइए जानते हैं पांच अस्त्रों के बारे में.
पहला है यंत्रमुक्त अस्त्र जैसा की नाम से ही जाहिर है कि यह किसी यंत्र से मुक्त होता है. जैसे किसी मशीन द्वारा चलाया जाता है. दूसरा अस्त्र है पाणिमुक्त (Panimukta) यानी जो हाथों से फेंक कर चलाए जाएं. तीसरा अस्त्र है मुक्त संधारिता (Mukta-Sandharita) जिसमें ऐसे हथियार होते हैं जो फेंक कर वापस खींच लिए जा सकते हैं. चौथा अस्त्र है मुक्त अस्त्र (Mukta) जिन्हें फेंकना न पड़े और ऐसे ही चलाया जाए. पांचवां अस्त्र होता है बहुयुद्ध (Bahuyuddha) इस हथियार को क्लोज कॉम्बैट यानी नजदीकी लड़ाई में इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि इन इन पांचों अस्त्रों की कई उप-श्रेणियां (Sub-Categories) भी हैं. फिलहाल प्राचीन काल के सबसे ताकतवर अस्त्रों को समझते हैं.
इन अस्त्रों में से चौथा अस्त्र मुक्त अस्त्र ही ऐसा है जिसका उपयोग बिना यंत्र और हाथ के होता था. ये प्राचीन भारत का सबसे ताकतवर हथियार माना जाता था. इन्हें मंत्रों की तरह चलाया जाता था. मुक्त अस्त्र के पांच उप हथियारों में विष्णुचक्र (Vishnuchakra), वज्रास्त्र (Vajrastra), ब्रह्मास्त्र (Brahmastra), नारायणास्त्र (Narayanastra) और पाशुपतास्त्र (Pashupatastra) शामिल हैं. इसके अलावा भी कई अस्त्र शामिल हैं. इन सभी अस्त्रों को रामायण और महाभारत जैसे टीवी शोज में देखा जा सकता है.
आग्नेयास्त्र आग से निकलने वाला अस्त्र है. यह किसी भी सामान्य तरीके से बुझाया नहीं जा सकता है. वहीं वरुणास्त्र भारी मात्रा में पानी फेंकने वाला अस्त्र है. इसी अस्त्र के उपयोग से आग्नेयास्त्र को रोका जाता था. वहीं नागास्त्र (Nagastra) ऐसा अस्त्र था जो सांप फेंकता था, इससे किसी की भी मौत तय होती थी. वहीं एक और अस्त्र नागपाशास्त्र (Nagapashastra) चलाकर दुश्मन के हथियारों को जहरीलें सांपों से बांध कर उसपर प्रहार किया जाता था.
भार्गवास्त्र इस अस्त्र को परशुराम ने कर्ण को दिया था. इसी एक अस्त्र ने एक झटके में पांडवों की एक अक्षुणी सेना खत्म कर दी थी. यह इंद्रास्त्र से भी अधिक शक्तिशाली था. इस अस्त्र से एक साथ पूरे ग्रह को नष्ट किया जा सकता है इसे केवल इसे चलाने वाला ही रोक सकता है.
ब्रह्मास्त्र (Brahmastra) को सभी अस्त्रों का राजा कहा जाता है. इससे भयानक तबाही मचती है और पूरा पर्यावरण नष्ट हो जाता है. जीवन या उसके कोई स्त्रोत नहीं बचते यहां तक की पुरुष और महिलाएं नपुंसक हो जाते हैं. धरती पर बारिश बंद हो जाती है. आसपास सूखा पड़ जाता है. वेदों में इन अस्त्र का उपयोग तकोई चारा ना बचने पर करने को कहा गया है. पुराणों में कहा गया है कि इस अस्त्र से 10 हजार सूरज की गर्मी और भयानक धुआं निकलता है.
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