बॉलीवुड डेस्क,मुंबई. भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का व्रत किया जाता है. इस दिन अनंत के रूप में भगवान विष्णु की पूजा होती है. पुरुष दाएं तथा स्त्रियां बाएं हाथ में अनंत धारण करती हैं. अनंत राखी के समान रूई या रेशम के कुंकू रंग में रंगे धागे होते हैं और उनमें चौदह गांठे होती हैं. इन्हीं धागों से अनंत का निर्माण होता अग्नि पुराण (1) में इसका विवरण है. व्रत करने वाले को धान के एक प्रसर आटे से रोटियां या पूड़ी बनानी होती हैं, जिनकी आधी वह ब्राह्मण को दे देता है और शेष स्वयं प्रयोग में लाता है.
इस दिन व्रती को चाहिए कि सुबह जग कर स्नान करें उसके बाद कलश की स्थापना करें. कलश पर अष्टदल कमल के समान बने बर्तन में कुश से निर्मित अनंत की स्थापना की जाती है. इसके आगे कुंकूम, केसर या हल्दी से रंग कर बनाया हुआ कच्चे डोरे का चौदह गांठों वाला अनंत भी रखा जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी कि स्थापना की जाती है तो वहीं अनंत चतुर्दशी गणेश जी अपने घर वापस लौट जाते हैं. अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विजर्सन की परंपरा सबसे ज्यादा प्रचलित है.
गणेश जी की प्रतिमा विसर्जित करने का शुभ मुहूर्त
सुबह – प्रातः 06:16 से प्रातः 07:48 तक
फिर प्रातः 10:51 से प्रातः 03:27 तक
दोपहर मुहूर्त – शाम 04:59 से शाम 06:30 तक
शाम मुहूर्त (अमृता, चर) – प्रातः 06:30 अपराह्न से 09:27 बजे
रात्रि मुहूर्त (लब) – 12:23 AM से 01:52 AM, 13 सितंबर
चतुर्दशी तिथि शुरू होती है – 05:06 AM 12 सितंबर, 2019 को
चतुर्दशी तिथि समाप्त – 07:35 AM 13 सितंबर, 2019 को
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