नई दिल्ली. साल में 12 एकादशी मनाई जाती है. लेकिन इन 12 एकादशियों का महत्व अलग अलग है. सभी एकादशी पर पूजा का खास महत्व और एक निश्चित तरीका होता है. फरवरी माह में आमलकी एकादशी मनाई जाती है. आमलाकी एकादशी पर आंवले फल और वृक्ष की जाती है. इस दिन परम पुण्यों की प्राप्ति हेतु पूर्ण पूजा विधि के साथ व्रत किया जाता है. इस व्रत को करने से घर में सुख संपत्ति और धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती.
इस साल आमलाकी एकादशी 26 फरवरी को है. इस दिन आवंले फल व वृक्ष की पूजा इसीलिए की जाती है क्योंकि ये वृक्ष विष्णु जी का सबसे प्रिय है. इस व्रत को यदि पूरी श्रद्धा भाव के साथ किया जाए तो भगवान विष्णु जी जल्द प्रसन्न होकर मनोवांछित फल देते हैं. इसके साथ ही यदि कोई भूलवश किए गए पाप हो तो उनका भी नाश होता है. इस व्रत को घर के सभी सदस्य कर सकते हैं.
हिंदू धर्म में मान्यता है कि आंवले वृक्ष की उत्पत्ति भगवान विष्णु ने स्वयं की थी. माना जाता है कि इसी दौरान भगवान ने ब्रह्मदेव को भी उत्पन्न किया था. जिससे इस सृष्टि के समस्त जीव उत्पत्ति हुई. आवंले के वृष के लिए माना जाता है कि इसके हर भाग में ईश्वर का वास होता है. इसीसिए इसके पूजा-अर्चना करना सबसे फलदायी होता है. आंवला पूजा और शरीर दोनों के लिए काफी लाभदायक होता है.
आंवले वृक्ष के हर भाग में होता है ईश्वर का वास
– मूल में साक्षात स्वयं भगवान विष्णु
– ऊपर ब्रह्मा
– स्कन्ध में रुद्र
– टहनियों में मुनि व देवता
– पत्तों में वसु
– फूलों में मरुद्गण
– फलों में सारे प्रजापति निवास करते हैं
आमलकी एकादशी पूजा शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारम्भ = 26/फरवरी/2018 को सुबह 2.39 बजे
एकादशी तिथि समाप्त = 26/फरवरी/2018 को रात 11: 5 9बजे
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