नई दिल्ली: अक्षय तृतीया का त्योहार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. अक्षय तृतीया 10 मई को मनाई जाएगी. मान्यता के मुताबिक ये दिन सभी के लिए भाग्य और सफलता लाता है. अक्षय त्रिता हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. इस दिन को सबसे शुभ दिन माना जाता है क्योंकि इस दिन विभिन्न शुभ कार्यक्रम होते हैं. इस दिन को आखा तीज के नाम से जाना जाता है. ये दिन पूरे देश में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है.
संस्कृत में “अक्षय” शब्द का अर्थ अनंत काल है, इसलिए ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने, गरीबों को दान देने और प्रार्थना करने से शुभ फल मिलता है. बता दें कि अक्षय तृतीया दिवस देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है, और इस दिन सोना, चांदी या वाहन खरीदने से आपकी आर्थिक परेशानियां दूर हो जाएंगी. तो ऐसे में अगर आप नए घर में जाने की सोच रहे हैं तो अक्षय तृतीया से ज्यादा शुभ दिन कोई नहीं है. अक्षय तृतीया 2024 आपकी घर वापसी का जश्न मनाने का सबसे अच्छा समय है.
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अक्षय तृतीया पर पूजा के मुहूर्त के अनुसार ही विष्णु जी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें. इसके बाद आप गाय के दूध से भगवान विष्णु की प्रतिमा का अभिषेक करें. इस दौरान उनके मंत्रों का जाप करना न भूलें. बाद में भगवान को तिलक लगाकर फूलों की माला पहनाएं. घी का दीपक जलाकर उनके सामने रखें. इस दौरान चावल, फूल, नारियल, पान, फल, वस्त्र आदि चीजें चढ़ाएं. खीर का भोग भी लगाते हुए आरती करें. पूजा के बाद सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें.
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी ॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
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