अध्यात्म

Ahoi Ashtami 2019 Date Calendar: 21 अक्टूबर को मनाई जाएगी अहोई अष्टमी, यहां पढ़ें पूजा विधि और व्रत कथा

नई दिल्ली: कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी को अहोई अष्टमी कहा जाता है. इस दिन अहोई माता की पूजा होती है और संतान की लंबी आयु के लिए माताएं व्रत रखती हैं. हिन्दू धर्म ग्रन्थों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन व्रत रखने से अहोई माता खुश होकर बच्चों की सलामती और मंगलमय जीवन का आशिर्वाद देती हैं. पहले यह व्रत केवल पुत्रों की सलामती के लिए रखा जाता था, लेकिन आधुनिक युग में अपनी सभी संतानों की सलामती के लिए यह व्रत रखा जाता है. तारों अथवा चंदमा के दर्शन और पूजन करने के बाद अहोई अष्टमी व्रत समाप्त किया जाता है.

आपको बता दें कि अष्टमी का व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद और दिपावली से आठ दिन पहले रखा जाता है. संतान की सुख सलामती के लिए अहोई अष्टमी का बहुत महत्व है. इसके अलावा जो विवाहित महिलाएं संतान की प्राप्ति चाहती हैं उनके लिए अहोई अष्टमी का व्रत बहुत मायने रखता है. इसलिए ही मथुरा के राधा कुंड में लाखों श्रद्धालु इस दिन स्नान करने के लिए पहुंचते हैं. इस वर्ष अहोई अष्टमी 21 अक्टूबर को मनाई जाएगी. अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता को पूजा जाता है और शाम को चांद तारों को अर्घ्य देने के बाद पूजां संपन्न हो जाती है.

अहोई अष्टमी व्रत कथा
अहोई अष्टमी पर्व मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा भी है. अहोइ अष्टमी की इस कथा के मुताबिक एक महिला के सात पुत्र थे. एक दिन घर में लिपाई पुताई के लिए मिट्टी लाने के लिए महिला जंगल पहुंच गई. जहां पर मिट्टी खोदते समय उससे बहुत बड़ी गलती हो गई और एक सेही बच्चे की उसके हाथों मृत्यु हो गई. अपने बच्चे को मृत देख सेही ने महिला को श्राप दिया और कुछ सालों के भीतर ही उसके सभी बेटों की मृत्यु हो गई. महिला को महसूस हुआ कि ये सब सेही के दिए हुए श्राप के कारण हो रहा है. अपने पुत्रों को जीवित करने के लिए महिला ने अहोई माता की पूजा की और छह दिनों तक अहोई माता का व्रत किया. इसके बाद अहोई माता ने प्रसन्न होकर महिला के सातों मृत पुत्रों को फिर से जीवित कर दिया.

अहोई अष्टमी पूजा विधि
अहोई अष्टमी के दिन माताओं को पूजा की तैयारियां सूर्य के अस्त होने से पहले ही पूरी करनी होती हैं. सबसे पहले घर की दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाया जाता है. एक कलश में पानी रखें और उसके ऊपर वही करवा रख दें जो आपने करवा चौथ के लिए इस्तेमाल किया था. इसके बाद अपने हाथों में गेहूं और अहोई अस्टमी की व्रत कथा पढ़ें. कथा सुनाते समय सभी महिलाओं को अनाज के सात दाने अपने हाथ में रखने चाहिए. पूजा समाप्त होने पर अहोई अष्टमी की आरती करें. पूजा संपन्न होने पर महिलाएं अपने परिवार की परंपरा के अनुसार पवित्र कलश में से चंद्रमा और तारों को अर्घ्य दें. इसके बाद बचे हुए पानी से दिवाली के दिन पूरे घर में छिड़काव करें. तारों के दर्शन और चंद्रोदय के बाद अहोई अष्टमी का व्रत संपन्न हो जाता है.

Shravana Purnima 2019 Date Calendar: जानिए कब है श्रावण पूर्णिमा व्रत, सावन पूर्णिमा पूजा विधि और महत्व

Nag Panchami 2019 Date: जानें कब है नाग पंचमी 2019, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Aanchal Pandey

Recent Posts

चिपचिपे बालों की समस्या का मिल गया उपाय, जल्द करें फॉलो

आप अपने बालों की सही देखभाल करें ताकि बालों के झड़ने की समस्या से बचा…

1 minute ago

YouTube का ये फीचर बड़ी काम की चीज, कुछ भी देखे नहीं सेव होगी हिस्ट्री

आप इंटरनेट ब्राउजर पर इनकॉग्निटो मोड का इस्तेमाल करते हैं, ठीक वैसा ही फीचर YouTube…

17 minutes ago

क्या पर्थ टेस्ट में वापसी करेंगे शुभमन गिल, मोर्ने मोर्केल ने किया खुलासा

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 5 टेस्टों का महामुकाबला 22 नवम्बर से शुरू होगा. भारत…

25 minutes ago

राष्ट्रीय महिला आयोग ने निकाली 33 पदों पर भर्ती, जल्दी अप्लाई करें

सरकारी नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) में अच्छे…

44 minutes ago

रूस की दहाड़ से चिंता में अमेरिका, कहीं परमाणु हमला न कर दें पुतिन!

सभी की नजर रूस पर टिकी हुई है. दरअसल अमेरिका में बनने वाली मिसाइल ATACMS…

1 hour ago

रिटायर लोगों के लिए खुशखबरी, दिल्ली मेट्रो दे रही नौकरी

हाल ही में दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने मैनेजर और असिस्टेंट मैनेजर की सरकारी…

1 hour ago