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Ahoi Ashtami 2019 Date Calendar: 21 अक्टूबर को मनाई जाएगी अहोई अष्टमी, यहां पढ़ें पूजा विधि और व्रत कथा

Ahoi Ashtami 2019 Date Calendar: इस वर्ष 21 अक्टूबर को अहोई अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन मां अपने बच्चों की लंबी आयु और बेहतर स्वास्थ्य के लिए व्रत करती है. तारों अथवा चंदमा के दर्शन और पूजन करने के बाद अहोई अष्टमी व्रत समाप्त किया जाता है. यहां जानिए अहोई अष्टमी की पूजा विधि और पूरी व्रत कथा.

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Ahoi Ashtami 2019 Date Calendar
  • July 18, 2019 12:50 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली: कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी को अहोई अष्टमी कहा जाता है. इस दिन अहोई माता की पूजा होती है और संतान की लंबी आयु के लिए माताएं व्रत रखती हैं. हिन्दू धर्म ग्रन्थों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन व्रत रखने से अहोई माता खुश होकर बच्चों की सलामती और मंगलमय जीवन का आशिर्वाद देती हैं. पहले यह व्रत केवल पुत्रों की सलामती के लिए रखा जाता था, लेकिन आधुनिक युग में अपनी सभी संतानों की सलामती के लिए यह व्रत रखा जाता है. तारों अथवा चंदमा के दर्शन और पूजन करने के बाद अहोई अष्टमी व्रत समाप्त किया जाता है.

आपको बता दें कि अष्टमी का व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद और दिपावली से आठ दिन पहले रखा जाता है. संतान की सुख सलामती के लिए अहोई अष्टमी का बहुत महत्व है. इसके अलावा जो विवाहित महिलाएं संतान की प्राप्ति चाहती हैं उनके लिए अहोई अष्टमी का व्रत बहुत मायने रखता है. इसलिए ही मथुरा के राधा कुंड में लाखों श्रद्धालु इस दिन स्नान करने के लिए पहुंचते हैं. इस वर्ष अहोई अष्टमी 21 अक्टूबर को मनाई जाएगी. अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता को पूजा जाता है और शाम को चांद तारों को अर्घ्य देने के बाद पूजां संपन्न हो जाती है.

https://youtu.be/xRRo6x3t9IY

अहोई अष्टमी व्रत कथा
अहोई अष्टमी पर्व मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा भी है. अहोइ अष्टमी की इस कथा के मुताबिक एक महिला के सात पुत्र थे. एक दिन घर में लिपाई पुताई के लिए मिट्टी लाने के लिए महिला जंगल पहुंच गई. जहां पर मिट्टी खोदते समय उससे बहुत बड़ी गलती हो गई और एक सेही बच्चे की उसके हाथों मृत्यु हो गई. अपने बच्चे को मृत देख सेही ने महिला को श्राप दिया और कुछ सालों के भीतर ही उसके सभी बेटों की मृत्यु हो गई. महिला को महसूस हुआ कि ये सब सेही के दिए हुए श्राप के कारण हो रहा है. अपने पुत्रों को जीवित करने के लिए महिला ने अहोई माता की पूजा की और छह दिनों तक अहोई माता का व्रत किया. इसके बाद अहोई माता ने प्रसन्न होकर महिला के सातों मृत पुत्रों को फिर से जीवित कर दिया.

अहोई अष्टमी पूजा विधि
अहोई अष्टमी के दिन माताओं को पूजा की तैयारियां सूर्य के अस्त होने से पहले ही पूरी करनी होती हैं. सबसे पहले घर की दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाया जाता है. एक कलश में पानी रखें और उसके ऊपर वही करवा रख दें जो आपने करवा चौथ के लिए इस्तेमाल किया था. इसके बाद अपने हाथों में गेहूं और अहोई अस्टमी की व्रत कथा पढ़ें. कथा सुनाते समय सभी महिलाओं को अनाज के सात दाने अपने हाथ में रखने चाहिए. पूजा समाप्त होने पर अहोई अष्टमी की आरती करें. पूजा संपन्न होने पर महिलाएं अपने परिवार की परंपरा के अनुसार पवित्र कलश में से चंद्रमा और तारों को अर्घ्य दें. इसके बाद बचे हुए पानी से दिवाली के दिन पूरे घर में छिड़काव करें. तारों के दर्शन और चंद्रोदय के बाद अहोई अष्टमी का व्रत संपन्न हो जाता है.

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