नई दिल्ली: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, जिस इंसान की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उसे जिंदगी में लगातार किसी न किसी परेशानी का सामना करना पड़ता है. बहुत मेहनत करने के बाद भी रिजल्ट नहीं मिलता है. ऐसे लोगों के साथ दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है. अगर जन्मकुंडली में सभी ग्रह राहु-केतु के बीच में हों तो इस स्थिति में कालसर्प योग बनता है.
कई बार सातों ग्रह राहु-केतु के बीच में न आकर एक या दो ग्रह राहु-केतु के बीच आ जाते हैं तो ऐसे में इसे आंशिक कालसर्प योग माना जाता है. कालसर्प योग वाले लोगों के लिए राहु या केतु की महादशा, अंतर्दशा या खराब गोचर इनकी परेशानियों को अचानक बढ़ा देता है.
अनुभव में ये भी देखा गया है कि कालसर्प दोष किसी व्यक्ति से इतना अधिक मेहनत व संघर्ष करवा देता है कि वो तपकर खरे सोने की तरह निखर जाता है. आखिरकार उसे उसकी किस्मत का प्रसिद्धि, सफलता और धन मिल ही जाता है. एक और बात ये भी है कि राहु को कार्मिक ग्रह के रूप में माना जाता है जो व्यक्ति को उसके पूर्वजन्मों के अनुसार फल देता है.
यदि राहु अपने नक्षत्र आर्द्रा, स्वाती और शतभिषा में होने के साथ साथ अपनी उच्च राशि वृष. मूल त्रिकोण राशि कर्क या स्वराशि कन्या में हो तो व्यक्ति के पूर्वजन्म के फल शुभ होते हैं. इसी तरह अगर केतु अपने नक्षत्र अश्विनी, मघा और मूल या अपनी उच्च राशि वृश्चिक, मूल त्रिकोण राशि मिथुन या स्वराशि धनु या मीन में हो तो भी शुभफल कारक होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए इनख़बर किसी भी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है.)
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