नई दिल्ली: कलावा एक धार्मिक धागा है जिसे हिंदू धर्म में पूजा और श्रद्धा के कई अवसरों पर हाथ में बांधते हैं। इसे शुभता, सुरक्षा और मनोकामनाओं की पूर्ति से जोड़ा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे किस हाथ में बांधना सही होता है? और इससे जुड़े कौन से नियम जरूरी हैं?
कलावा एक पवित्र धागा होता है, जिसे विशेष रूप से पूजा और यज्ञ के बाद हाथ में बांधते हैं। इसे सफेद, लाल या पीले रंग का धागा भी कहा जाता है। यह श्रद्धा का प्रतीक होता है और किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले इसे हाथ में बांधना जरूरी समझा जाता है।
वास्तव में, कलावा व्यक्ति के मन में सकारात्मकता लाने और किसी भी बुरी नजर से सुरक्षा के लिए भी बांधा जाता है।
हिंदू धर्म में कलावा बांधने का तरीका और स्थान बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इसे सही हाथ में बांधना जरूरी होता है।
– अगर आप किसी शुभ कार्य की शुरुआत कर रहे हों या किसी देवता की पूजा कर रहे हों, तो कलावा दाएं हाथ में बांधना शुभ होता है।
– दायें हाथ को सक्रिय हाथ माना जाता है। इसे काम करने और किसी शुभ काम की शुरुआत के लिए सही हाथ माना जाता है।
– कुछ मान्यताओं के अनुसार, बाएं हाथ में भी कलावा बांध सकते हैं। इसे व्यक्तिगत सुरक्षा और आत्मिक शक्ति के लिए भी बांधते हैं।
– बाएं हाथ को भी शुद्धता और साधना से जोड़ा जाता है।
ध्यान दें: अगर आपके शरीर में किसी प्रकार की चोट या बीमारी हो, तो उचित दिशा और विशेषज्ञों से सलाह ले लें।
1. शुद्धता का ध्यान रखें: पूजा और कलावा बांधते समय नहाकर और साफ-सुथरे मन से इसे बांधना चाहिए।
2. पूजा स्थल पर ही बांधें: पूजा स्थल पर या धार्मिक स्थान पर कलावा बांधना शुभ माना जाता है।
3. पुरुष और महिलाओं में अंतर: महिलाओं को कलावा बांधने में अपनी परंपराओं और धार्मिक विश्वासों का पालन करना चाहिए।
4. जिन्हें मनोकामना हो उन्हें बांधें: कलावा सिर्फ अच्छे और शुभ अवसरों पर ही बांधना चाहिए, ताकि इसका असर सही दिशा में हो।
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