नई दिल्ली: महाशिवरात्रि का पर्व हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव है। इस साल कालों के काल महाकाल का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। अब आप सोच रहे होंगे की आखिर इस साल ऐसा क्या है। तो आपको बता दें महाशिवरात्रि के दिन ही महाकुंभ मेले का आखिरी स्नान होगा और इसके साथ ही महाकुंभ के मेले का समापन भी हो जाएगा।
इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी यानी बुधवार के दिन मनाया जाएगा। इस बार ये शिवरात्रि कुछ अलग रहने वाली है। आपको बता दें 60 साल बाद इस साल महाशिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। ऐसा योग 1965 में ही देखा गया था। इस बार परिघ योग, धनिष्ठा नक्षत्र, चंद्रमा और शकुनि करण मकर राशि में उपस्थित रहेंगे। इसी के साथ सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि इस समय सूर्य, बुध और शनि ग्रहों का एक अनोखा संयोग भी बनेगा और इसी दिन महाकुंभ का आखिरी स्नान भी होगा।
ज्योतिष के अनुसार सूर्य को पिता और शनि को पुत्र का प्रतीक माना जाता है और इस बार दोनों ही ग्रह शनि की राशि में स्थित रहने वाले है। जिसकी वजह से एक शक्तिशाली और अद्वितीय योग का निर्माण रहेगा। देखा गया है की ऐसा संयोग दशकों में एक बार ही बनता है। जिसे विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा का स्त्रोत माना जाता है। महाशिवरात्रि पर बना ये संयोग शिव भक्तों के लिए बहुत ही अच्छा रहने वाला है। इस संयोग से महाकाल के भक्त पर कृपा और बढ़ेगी।
26 फरवरी को सुबह 5 बजकर 17 मिनट से 6 बजकर 5 मिनट तक ब्रह्म मुहूर्त रहेगा। 26 फरवरी शाम को 6 बजकर 29 मिनट से रात 9 बजकर 34 मिनट तक पहले प्रहर का समय रहने वाला है। वही दूसरे प्रहर की पूजा का समय 26 फरवरी रात 9 बजकर 34 मिनट से 27 फरवरी 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। 26 फरवरी की रात 12 बजकर 39 मिनट से 3 बजकर 45 मिनट तक तीसरे प्रहर की पूजा का समय रहने वाला है। इसी के साथ चौथे प्रहर की पूजा का समय 27 फरवरी सुबह 3 बजकर 45 मिनट से 6 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।
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