नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य ने अपने व्यक्तिगत जीवन, कार्य, व्यवसाय, रिश्तों, मित्रों और शत्रुओं के विभिन्न पहलुओं के संबंध में अपने नैतिक सिद्धांतों को विस्तार से उजागर किया है. चाणक्य नीति कहती है कि मानव जीवन अनमोल है, और यदि आप इस जीवन को सफल और सार्थक बनाना चाहते हैं, तो आपको कुछ बातों को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए.
इसके साथ ही आचार्य चाणक्य अपनी पुस्तक चाणक्य नीति में इस श्लोक में कहते हैं कि “लोकयात्रा भयं लज्जा दाक्षिण्यं त्यागशीलता। पञ्च यत्र न विद्यन्ते न कुर्यात्तत्र संगतिम् ॥” उन जगहों के बारे में बात करता है जहां आपको अपना घर नहीं रखना चाहिए. जब आप ऐसी जगहों पर बस जाते हैं तो आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. तो चलिए जानते हैं इसके बारे में…
1. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जहां आपको लोक-अपमान का भय न हो, वहां पर घर नहीं बनाना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि वहा बसना सबसे अच्छा है जहां सामाजिक मूल्य उच्चतम हों.
2. आचार्य चाणक्य के मुताबिक उस देश को छोड़ देना ही बेहतर है जहां आपके साथ सम्मान का व्यवहार नहीं किया जाता है, जहां आपके पास कोई आजीविका नहीं है, कोई दोस्त और रिश्तेदार नहीं हैं और ज्ञान और कौशल हासिल करने का कोई अवसर नहीं है. हालांकि कोई व्यक्ति किसी दूसरे देश या स्थान पर रहना चाहता है,
3. चाणक्य नीति के मुताबिक जिस जगह वेद को जानने वाला ब्राह्मण, धनिक, राजा, नदी और वैद्य ना हों, उस स्थान पर व्यक्ति को एक दिन भी नहीं रहना चाहिए.
4.चाणक्य नीति के अनुसार ऐसे देश में नहीं रहना चाहिए जहां लोग भिक्षा देने की भावना ना हो, क्योंकि भिक्षा से ना केवल पुण्य मिलता है, बल्कि आत्मा भी शुद्ध होती है.
5.आचार्य चाणक्य भी कहते हैं कि व्यक्ति को ऐसे स्थान पर रहना चाहिए जहां वो स्वार्थवश कानून ना तोड़ता हो, बल्कि दूसरों की भलाई के लिए काम करें और समाज की सेवा करें. आपको ऐसे स्थान पर रहना चाहिए जहां लोग एक साथ रहते हों.
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