नई दिल्ली: हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को यशोदा जयंती मनाई जाती है. इस बार यशोदा जयंती आज यानी शुक्रवार 1 मार्च को है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण की माता यशोदा के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, और माता यशोदा ने ही भगवान श्रीकृष्ण का […]
नई दिल्ली: हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को यशोदा जयंती मनाई जाती है. इस बार यशोदा जयंती आज यानी शुक्रवार 1 मार्च को है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण की माता यशोदा के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, और माता यशोदा ने ही भगवान श्रीकृष्ण का पालन-पोषण किया था. बता दें कि कृष्ण का जन्म उनकी माता देवकी के गर्भ से हुआ था, और ये त्यौहार इस्कॉन मंदिरों और दुनियाभर के सभी कृष्ण मंदिरों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. ये व्रत माताओं के लिए बहुत खास होता है. हालांकि इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं. ये त्यौहार गुजरात, महाराष्ट्र और भारत के दक्षिणी राज्यों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. तो आइए जानते है शोदा जयंती का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि को…..
पंचांग के मुताबिक फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 1 मार्च 2024 को शुरू होकर और 2 मार्च 2024 को सुबह 7:53 बजे समाप्त होगी. बता दें कि इस संदर्भ में, यशोदा जयंती मनाई जाती है.हालांकि इस साल शुक्रवार 1 मार्च 2024 यशोदा जयंती का त्योहार माताओं के लिए बहुत खास होता है, ये त्यौहार माँ और बच्चे के बीच के प्रेम को दर्शाता है. हालांकि इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती हैं, और ऐसा माना जाता है कि इस दिन माता यशोदा और भगवान श्री कृष्ण की बाल छवि की पूजा करने और व्रत करने से संतान प्राप्ति की इच्छा जल्द ही पूरी हो जाती है.
1. यशोदा जयंती के दिन पूरी श्रद्धा के साथ माता यशोदा और कृष्ण का व्रत का संकल्प करिए.
2. पूजन के लिए माता यशोदा की श्री कृष्ण की गोद में लिए हुए तस्वीर को स्थापित करें.
3. इसके साथ ही आप व्रत किस तरह से रखेंगे यानी कि फलाहार या फिर निर्जला भी ये संकल्प लें सकते है.
4. मां यशोदा जी को लाल चुनरी अर्पित करें और पूजा प्रारंभ करें.
5. इसके बाद मां यशोदा को मिष्ठान और भगवान कृष्ण को मक्खन का भोग लगाएं और पूरी रात का दीपक जलाएं.
6. इसके दौरान माता यशोदा और भगवान श्री कृष्ण की आरती करें, और फिर तत्पश्चात गायत्री मंत्र का जाप जरूर करें.
7. पूजा संपन्न होने के बाद अपनी मनोकामना की प्रार्थना करें, और प्रसाद जरूर बांटें.
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