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प्रदोष व्रत: आखिर क्यों किया जाता है ये व्रत, जानें इसकी पूजा विधि और महत्व

नई दिल्ली: पंचान के मुताबिक मई माह में 2 बार त्रयोदशी तिथि पड़ती है और दोनों त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. साथ ही इस दिन लोग व्रत रखते हैं और शिव की पूजा और अर्चना करते हैं. पौराणिक मान्यता के मुताबिक इस व्रत को करने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं,और […]

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प्रदोष व्रत: आखिर क्यों किया जाता है ये व्रत, जानें इसकी पूजा विधि और महत्व
  • February 5, 2024 10:57 am Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

नई दिल्ली: पंचान के मुताबिक मई माह में 2 बार त्रयोदशी तिथि पड़ती है और दोनों त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. साथ ही इस दिन लोग व्रत रखते हैं और शिव की पूजा और अर्चना करते हैं. पौराणिक मान्यता के मुताबिक इस व्रत को करने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं,और अपने भक्तों के जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भर देते हैं. जो कोई भी प्रदोष व्रत का सारा नियम पालन और श्रद्धा से साथ प्रदोष व्रत रखता है, उसकी सभी परेशानियां नष्ट हो जाती हैं. बता दें कि त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में माता पार्वती और भगवान भालशंकर की पूजा की जाती है, और इस दिन प्रदोष काल में की गई भगवान शिव की पूजा कई गुना फलदायी होती है. तो चलिए जानते हैं कि फरवरी माह में प्रदोष व्रत कब है और शिव जी की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है…

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त और पूजा का समय

बता दें कि पंचांग के मुताबिक पौष माह में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 07 फरवरी के दिन दोपहर 02 बजकर 02 मिनट से होगा, और इसका अंत 08 फरवरी को सुबह 11 बजकर 17 मिनट पर हो जायेगा. दरअसल शिव जी की भी पूजा प्रदोष काल में की जाती है इसलिए 07 फरवरी को प्रदोष व्रत रखा जाएगा. दरअसल 07 फरवरी को पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 05 से 08 बजकर 41 मिनट तक होगा, और बुधवार के दिन पड़ने के वजह से इस प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत भी कहा जाएगा.Shukra Pradosh Vrat August 2021: संसार का हर सुख देगी ये पूजा - shukra  pradosh vrat-mobile

जानें इसकी पूजा विधि और महत्व

1. प्रदोष व्रत वाले दिन प्रात: स्नान आदि करके साफ वस्त्र पहन लें.
2. इसके दौरान भोलेनाथ को याद करके व्रत और पूजा का संकल्प करें.
3. फिर शाम के शुभ मुहूर्त में किसी शिव मंदिर जाकर और घर पर ही भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा करें.
4. पूजा के समय शिवलिंग को गंगाजल और गाय के दूध से स्नान कराएं.
5. उसके बाद सफेद चंदन का लेप लगाएं.
6. भगवान भोलेनाथ को अक्षत, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी का पत्ता, सफेद फूल, शहद, भस्म, और शक्कर आदि जरूर अर्पित करें.
7. इसके बाद ओम नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहें.
8. पूजा के बाद शिव चालीसा, गुरु प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें, और घी का दीपक जलाएं और शिव जी की आरती करें.
9. बाद पूजा का समापन क्षमा प्रार्थना से करते हुए शिवजी के सामने अपनी मनोकामना जाहिर कर दें.
10. साथ ही इसके अगले दिन सुबह स्नान करने के बाद फिर से शिव जी की पूजा करें.
11. इसके बाद फिर सूर्योदय के बाद पारण करें.

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