नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य का ग्रंथ नीति शास्त्र दुनियाभर में मशहूर है। इसमें व्यक्ति के जीवन से जुड़े हर पहलू पर विचार किया गया है और सफल होने के कई महत्वपूर्ण टिप्स दिए गए हैं। चाणक्य का मानना था कि अगर कोई व्यक्ति उनके नीति शास्त्र की बातों को अपने जीवन में अपनाता है, तो […]
नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य का ग्रंथ नीति शास्त्र दुनियाभर में मशहूर है। इसमें व्यक्ति के जीवन से जुड़े हर पहलू पर विचार किया गया है और सफल होने के कई महत्वपूर्ण टिप्स दिए गए हैं। चाणक्य का मानना था कि अगर कोई व्यक्ति उनके नीति शास्त्र की बातों को अपने जीवन में अपनाता है, तो वह निश्चित रूप से सफलता प्राप्त कर सकता है। उन्होंने अपने शास्त्र में उन कारणों पर भी चर्चा की है, जिनके कारण व्यक्ति गरीबी और कठिनाइयों का सामना करता है। इनमें से एक प्रमुख कारण है गलत जगहों पर निवास करना।
नीति शास्त्र के पहले अध्याय के नौवें श्लोक में चाणक्य ने पांच विशेष जगहों का उल्लेख किया है, जहां निवास करने से व्यक्ति को प्रगति और समृद्धि नहीं मिल पाती। उनका मानना है कि इन स्थानों पर रहने वाले लोग जीवनभर गरीबी, दुख और अभाव में रहते हैं।
1. ब्राह्मण का न होना – चाणक्य के अनुसार, जहां वेदों और शास्त्रों का ज्ञान रखने वाले ब्राह्मण नहीं रहते, उस स्थान को छोड़ देना चाहिए। ऐसे लोग धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से कमजोर होते हैं, जिससे जीवन में गरीबी और अव्यवस्था आ सकती है।
2. धनिक या व्यापारी का अभाव – जिस जगह पर धनिक या व्यापारी नहीं हैं, वहां आर्थिक प्रगति का अभाव रहता है। व्यापार और उद्योग के बिना कोई भी स्थान आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ होता है। चाणक्य का मानना है कि ऐसे स्थान पर रहना व्यक्ति को प्रगति से दूर रखता है।
3. प्रतापी राजा का अभाव – चाणक्य के अनुसार, जहां प्रतापी राजा या सक्षम नेतृत्व नहीं है. वहां शासन व्यवस्था बिगड़ती है और अराजकता का माहौल बनता है। इस प्रकार की जगह पर निवास करने से व्यक्ति को सुरक्षा और प्रगति की संभावना नहीं मिल पाती।
4. नदी का अभाव – जल जीवन का आधार है। जिस जगह नदी या जलस्रोत का अभाव होता है, वहां रहना उचित नहीं है। सिंचाई और बाकी दैनिक कार्यों के लिए जल का महत्व अत्यधिक होता है, इसलिए नदी विहीन स्थानों को त्यागने की सलाह दी गई है।
5. डॉक्टर या वैद्य का अभाव – स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए योग्य चिकित्सक का होना बहुत आवश्यक है। चाणक्य के अनुसार, जिस स्थान पर वैद्य या डॉक्टर नहीं हैं, वहां निवास करना सही नहीं है, क्योंकि बीमारियों से लड़ने में परेशानी होती है।
चाणक्य का मानना है कि इन पांच स्थानों पर निवास करने से व्यक्ति का जीवन कठिनाइयों और अभावों से भर जाता है। इसलिए उन्होंने नीति शास्त्र में इन स्थानों का त्याग करने की सलाह दी है ताकि व्यक्ति एक समृद्ध और सफल जीवन की ओर कदम बढ़ा सके.
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