नई दिल्ली: केरल के आलपुज्हा जिले से लगभग 37 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मन्नारशाला नाग मंदिर, भारत के सबसे महत्वपूर्ण और रहस्यमयी नाग मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां एक-दो नहीं, बल्कि हजारों नागों की प्रतिमाएं स्थापित हैं। माना जाता है कि यह मंदिर नाग […]
नई दिल्ली: केरल के आलपुज्हा जिले से लगभग 37 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मन्नारशाला नाग मंदिर, भारत के सबसे महत्वपूर्ण और रहस्यमयी नाग मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां एक-दो नहीं, बल्कि हजारों नागों की प्रतिमाएं स्थापित हैं। माना जाता है कि यह मंदिर नाग देवता को समर्पित है और यहां पर पूजा-अर्चना नाग दोष से मुक्ति दिलाने के लिए की जाती है।
मन्नारशाला मंदिर से जुड़ी कई पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान परशुराम ने जब समुद्र से केरल की भूमि का निर्माण किया, तब इस क्षेत्र में अत्यधिक गर्मी और सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गई। इससे राहत पाने के लिए उन्होंने नाग देवता की आराधना की और तब यहां नाग देवताओं को समर्पित इस मंदिर की स्थापना की गई।
मन्नारशाला नाग मंदिर की विशेषता इसकी हजारों नाग प्रतिमाएं हैं, जो मंदिर परिसर के चारों ओर बिखरी हुई हैं। यहां के लोग और भक्त मानते हैं कि ये नाग प्रतिमाएं वास्तविक शक्ति का प्रतीक हैं और मंदिर में नागों की उपस्थिति का आभास कराती हैं। मंदिर के अंदर नागराज और नागयक्षी की मूर्तियां विशेष रूप से प्रतिष्ठित हैं। माना जाता है कि ये देवता भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं, विशेष रूप से संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों की।
मंदिर एक घने जंगल के बीच स्थित है, जो इसके वातावरण को और भी रहस्यमयी बनाता है। इस मंदिर का निर्माण द्रविड़ शैली में किया गया है और चारों ओर पेड़-पौधे तथा लताओं से ढका हुआ है। यह प्राकृतिक वातावरण मंदिर को एक दिव्य और शांतिपूर्ण स्थल बनाता है, जहां भक्तगण शांति और आध्यात्मिक अनुभव की खोज में आते हैं।
मन्नारशाला नाग मंदिर की एक और खासियत यह है कि इस मंदिर की देखरेख और पूजा कार्य मंदिर की मुख्य पुजारिन करती हैं। यहां की पुजारिन को “मुत्तस्सी” के नाम से जाना जाता है, जो मंदिर की परंपरागत जिम्मेदारियां निभाती हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे अत्यंत सम्मान और श्रद्धा की दृष्टि से देखा जाता है।
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मन्नारशाला नाग मंदिर में नाग पंचमी का त्योहार विशेष रूप से धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर हजारों भक्त मंदिर में नाग देवता की पूजा करने आते हैं और उन्हें दूध, हल्दी और फूल चढ़ाते हैं। इस दिन मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिसमें भाग लेने से नाग दोष से मुक्ति और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
इस मंदिर में संतान प्राप्ति के लिए विशेष रूप से पूजा की जाती है। माना जाता है कि जो भी दंपत्ति यहां सच्चे मन से संतान प्राप्ति की कामना करते हैं, उन्हें अवश्य संतान सुख प्राप्त होता है। संतान प्राप्ति के बाद लोग मंदिर में विशेष नाग प्रतिमा भेंट करते हैं।
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