Advertisement
  • होम
  • अध्यात्म
  • एक ऐसा शक्तिपीठ जहां मूर्ति की नहीं होती पूजा, जानें क्या है सच्चाई

एक ऐसा शक्तिपीठ जहां मूर्ति की नहीं होती पूजा, जानें क्या है सच्चाई

नई दिल्ली: पूरे देश में नवरात्र का त्योहार मनाया जा रहा है. वहीं अष्टमी (navratri ashtami) और नवमी (navratri navami) पर आज प्रयागराज (Prayagraj) के मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमरी है. शक्तिपीठ अलोप शंकरी के अलावा दूसरे देवी मंदिरों में महागौरी स्वरुप में देवी मां का श्रृंगार किया जाता है. मदिंरो में लोग देवी […]

Advertisement
shakti peeth
  • October 11, 2024 1:54 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

नई दिल्ली: पूरे देश में नवरात्र का त्योहार मनाया जा रहा है. वहीं अष्टमी (navratri ashtami) और नवमी (navratri navami) पर आज प्रयागराज (Prayagraj) के मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमरी है. शक्तिपीठ अलोप शंकरी के अलावा दूसरे देवी मंदिरों में महागौरी स्वरुप में देवी मां का श्रृंगार किया जाता है. मदिंरो में लोग देवी मां के दर्शन, पूजन कर उनसे अपनी मनोकामनाएं पूरी होने का आशीर्वाद ले रहे हैं

मूर्ति नहीं बल्कि पालने की पूजा

 

नवरात्र की अष्टमी और नवमी के मौके पर प्रयागराज के शक्तिपीठों की देवी मंदिरों को बहुत ख़ूबसूरती से सजाया गया है. अलोप शकरी शक्तिपीठ में कोई मूर्ति नहीं है. इस शक्तिपीठ में मूर्ति के बजाय पालने की पूजा की जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार शिवप्रिया सती की दाहिने हाथ की छोटी उंगली गिरकर कुंड में अलोप यानि अदृश्य हो गई थी. इसी वजह से इस शक्तिपीठ को अलोप शंकरी का नाम दिया गया है.

मां महागौरी को कैसे मिला ये नाम

धर्म शास्त्रों के अनुसार कठोर तप के वजह से मां का वर्ण काला पड़ गया था. तब भगवान शिव खुश होकर उनके शरीर को पवित्र गंगाजल से धोया था. इससे मां का शरीर अत्यंत कांतिमान और तभी मां का नाम महागौरी पड़ा. महागौरी सफेद वस्त्र और आभूषण धारण करती हैं, इसलिए इन्हें श्वेतांबरधरा भी कहते है.अष्टमी पर महागौरी स्वरूप में देवी मां का पूजन किया जा रहा है

ये भी पढ़े:

नवरात्रि के नौवें दिन ऐसे करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, जानिए महत्व और कथा

Advertisement