तुलसी विवाह: तुलसी पूजन विधि में करें इस मंत्र का उच्चारण, पूरी होंगी मनोकामनाएं
कार्तिक माह की प्रबोदनी यानि एकादशी के दिन तुलसी विवाह उत्सव मनाया जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार के कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु करीब चार महीने के बाद अपनी निंद्रा से जागे थे. इस दिन उन्होंने सबसे पहले हरिवल्लभ तुलसी की प्रार्थना सुनी थी.
October 31, 2017 7:08 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. कार्तिक माह की प्रबोदनी यानि एकादशी के दिन तुलसी विवाह उत्सव मनाया जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार के कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु करीब चार महीने के बाद अपनी निंद्रा से जागे थे. इस दिन उन्होंने सबसे पहले हरिवल्लभ तुलसी की प्रार्थना सुनी थी. तभी से कहा जाता है कि देव उठनी ग्यारस को जब देव विष्णु अपनी निंद्रा से उठते हैं तो तुलसी की ही सुनते हैं. इस दिन तुलसी का विवाह शालीग्राम के साथ हुआ था. शालीग्राम भगवान विष्णु का ही रूप है.
कथा के अनुसार कहा जाता है कि तुलसी का नाम वृंदा हुआ करता था. वृंदा का विवाह जलंधर राक्षस से हुआ था. वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थी. लेकिन राक्षस जलंधर धीरे धीरे आक्रमक होता गया. पत्नी वृंदा की भक्ति से जलंधर को शक्ति मिलती रही हैं. इससे सभी देवता गण परेशान हो गए और उन्होंने भगवान विष्णु को इस समस्या से अवगत करवाया. सभी देवाताओं की बात सुनकर भगवान विष्णु ने अपनी माया से जलांधर का रूप धारण कर लिया और छल से वृंदा के पतिव्रत धर्म को नष्ट कर दिया. इस वजह से राक्षस जलंधर की शक्ति कम हो गयी और वह युद्ध में मारा गया. लेकिन जब वृंदा को भगवान विष्णु के छल का पता चला तो वो निराश और दुखी हो गई. तब वृंदा ने क्रोध में आकर भगवान विष्णु को पत्थर का बन जाने का श्राप दे दिया. जिससे विष्णु को राम के रूप में जन्म लेना पड़ा. इसके बाद वृंदा से बनी तुलसी को सदैव अपने साथ रखते हैं. बिना तुलसी के शालिग्राम या विष्णु पूजन अधूरा माना जाता है. बल्कि सीधे शब्दों में कहें तो शालिग्राम व तुलसी का विवाह विष्णु व महालक्ष्मी के विवाह का प्रतीकात्मक विवाह है.
तुलसी पूजा विधि
इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना होता है. इस दिन व्रत करने की परंपरा है. स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. वैसे तो इस दिन नदी में स्नान करने को बेहद शुभ माना जाता है. ये व्रत एकादशी को शुरू होता है और द्वादश को खोला जाता है. इस दिन तुलसी की पूजा और पूरी विधि विधान के साथ विष्णु जी के रूप शलिग्राम जी से उनका विवाह संपन्न करवाया जाता है.
तुलसी पूजा शुभ मुहूर्त
सुबह 09:20 से शाम 10:42 तक
तुलसी पूजा मंत्र
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चि-तासि मुनीश्वरैः नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।