नई दिल्ली. कार्तिक माह की ग्यारस यानि एकादशी को देवउठनी ग्यारस या देव प्रबोधिनी भी कहा जाता है. इस दिन तुसली का विवाह शालीग्राम से हुआ था. इस दिन भगवान विष्णु की कृपा से भक्तों के रुके हुए काम बनते हैं. अगर दें तो इस माह में और कार्तिक एकादशी को साल में सबसे ज्यादा शादियां होती हैं. क्योंकि ये दिन बेहद शुभ माना जाता है. एकादशी के दिन विशेष तौर पर त्रिपुष्कर और अमृत योग बन रहा है. इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के बाद निंद्रा से जागे थे. इसीलिए कहा जाता है कि आज से देव उठ जाते हैं और सभी शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है. इस दिन पूजा करने से जिन लोगों की शादी में तमाम तरह की रुकावटें दूर हो जाती हैं.
तुलसी विवाह पूजा विधि
इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना होता है. इस दिन व्रत करने की परंपरा है. स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. वैसे तो इस दिन नदी में स्नान करने को बेहद शुभ माना जाता है. ये व्रत एकादशी को शुरू होता है और द्वादश को खोला जाता है. इस दिन तुलसी की पूजा और पूरी विधि विधान के साथ विष्णु जी के रूप शलिग्राम जी से उनका विवाह संपन्न करवाया जाता है. इस दिन तुलसी की पूजा में लोग कन्यादान करते हैं. हिंदू धर्म के अनुसार संसार में यदि सबसे बड़ा कन्यादान है तो वह है कन्यदान. इसीलिए इस दिन लोगों को कन्यादान करने का सौभाग्य भी प्राप्त होता है.
ऐसे करें तुलसी विवाह
जिन लोगों की शादी होने में रुकावटें आती हैं उनके लिए कहा जाता है कि तुलसी की पूजा करनी चाहिए. कार्तिक माह के एकादशी के दिन तुलसी की शादी और कन्यदान करने से जिंदगी में आ रही तमाम तरह की रुकावटें और परेशानियां दूर हो जाती हैं. इस दिन तुलसी जी का करने के लिए सबसे पहले तुलसी जी के पौधें को सजाएं. फिर तुलसी के पौधे पर चुनरी ओढ़ाएं. फिर गमले पर सभी सुहाग का सामान चढ़ाएं. जैसे चूढ़ा, सिंदूर, नखूनपॉलिश, कंघा, रिबन आदि. इसके बाद शालिग्राम की मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद शालिग्राम के सिंहासन को हाथ में लेकर और तुलसी की सात परिक्रमा कराएं. फिर आरती करें. इसकी के साथ विवाह संपन्न हो जाएगा.