नई दिल्ली: कार्तिक शुक्ल एकादशी 31 अक्टूबर यानी की मंगलवार को है, इस दिन नारायण भगवान चार महीने के बाद शयन से जागेंगे. इसी दिन प्रबोधनी-देवोत्थान एकादशी व तुलसी विवाह भी मनाया जाएगा. 31 अक्टूबर यानी की कल से सभी शुभ मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे. ऐसी मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल हरिशयन एकादशी वाले दिन भगवान चार माह के लिए शयन करने चले जाते हैं और करमा एकादशी वाले दिन भगवान करवट लेते हैं जबकि प्रबोधनी या देवोत्थान एकादशी के दिन शयन से जागते हैं. आप लोग शायद इस बात से अंजान होंगे कि इन चार माह के दौरान श्रीहरि पाताल लोक में राजा बलि के यहां निवास करते हैं.
चतुर्मास के देवता व संचालन कर्ता भोलेनाथ हैं. बता दें कि इन चार महीनों में कोई भी हिंदू शुभ मांगलिक कार्य नहीं करते हैं, जैसे कि विवाह, जनेऊ आदि नहीं संपन्न हुए. बता दें कि प्रबोधनी एकादशी ही तुलसी विवाह का दिन है. तुलसी विवाह को देवउठनी ग्यारस या देव प्रबोधनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि इस साल श्रीहरि के जागने के 18 दिन बाद भी कोई वैवाहिक व अन्य मांगलिक कार्यों (गृह प्रवेश) के लिए शुभ मुहूर्त नहीं है. इस दिन ऐसा कहा जाता है भगवान विष्णु जी के साथ तुलसी जी का विवाह होता है.
आइए आपको बताते हैं कि पंचांगों के मुताबिक, विवाह का शुभ मुहूर्त 20,21,22,28 नवंबर और 3,4,8,10 दिसंबर. कुछ ऐसी चीजें हैं जो इस दिन आपको करनी चाहिए वो ये है कि घर और मंदिर में गन्ने का मंडप बनाए, लक्ष्मीनारायण का पूजन करें, उन्हें बेर, आंवला सहित अन्य मौसमी फल का भोग भी लगाएं.
प्रबोधनी एकादशी पर ग्रह की स्थिति
सूर्य,बुध,गुरु : तुला में
शनि : धनु में
केतु : मकर में
चंद्रमा : कुंभ में
राहू: केतु में
राहू: कर्क में
मंगल,शुक्र: कन्या में