छठ पूजा 2017: उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए इस बार है सिर्फ 2 मिनट का शुभ मुहूर्त, ये है वो शुभ समय
छठ पूजा 2017: उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए इस बार है सिर्फ 2 मिनट का शुभ मुहूर्त, ये है वो शुभ समय
चार दिनों तक चलने वाला लोक आस्था का महापर्व छठ शुक्रवार सुबह सूर्यदेव को अर्घ्य दिए जाने के साथ संपन्न होगा. पंचांग के मुताबिक, शुक्रवार सुबह 5:53 से 5:55 तक सिर्फ दो मिनट के लिए अर्घ्य का शुभ मुहूर्त है. अगर आप अर्घ्य देने घाट पर जा रहे हैं तो कोशिश करें कि शुभ मुहूर्त पर ही अर्घ्य दें.
October 26, 2017 4:44 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्लीः चार दिनों तक चलने वाला लोक आस्था का महापर्व छठ शुक्रवार सुबह सूर्यदेव को अर्घ्य दिए जाने के साथ संपन्न होगा. पंचांग के मुताबिक, शुक्रवार सुबह 5:53 से 5:55 तक सिर्फ दो मिनट के लिए अर्घ्य का शुभ मुहूर्त है. अगर आप अर्घ्य देने घाट पर जा रहे हैं तो कोशिश करें कि शुभ मुहूर्त पर ही अर्घ्य दें. गौरतलब है कि जिन जगहों पर छठ पर्व मनाया जा रहा है, वहां शुक्रवार सुबह सभी घाटों पर श्रद्धालुओं का हुजूम रहेगा. लोग उगते सूर्य को अर्घ्य देंगे और इसी के साथ महापर्व छठ संपन्न हो जाएगा.
व्रत संपन्न होने के बाद व्रत रखने वाले के पैर छूकर आशीर्वाद लिया जाता है. माना जाता है कि छठ करने वाले व्रती ने चार दिन तक कष्ट सहकर छठ किया है तो उस पर छठी मईया की कृपा है. ऐसे में उनका आशीर्वाद लिया जाता है ताकि उनका आशीर्वाद फलीभूत हो और जीवन में खुशहाली आए. व्रती के हाथों से ही प्रसाद लिया जाता है. कहा जाता है कि छठ का प्रसाद बड़े सौभाग्य से मिलता है. प्रसाद में ठेकुआ, लडुआ, केला, सेब, गन्ना, अमरूद, संतरा आदि दिया जाता है.
इस पर्व के बारे में बात करें तो छठ पर भगवान सूर्य की उपासना की जाती है. छठ का पहला दिन नहाय-खाय के रूप में मनाया जाता है. दूसरे दिन को खरना कहा जाता है. इसका तीसरे चरण में सांझ को अर्घ्य दिया जाता है और अगले दिन उगते सूर्य के अर्घ्य देने के साथ ही इस पूजा का समापन होता है. ऐसा विश्वास है कि छठ पूजा करने वाले को सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है और व्रती की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. छठ पूजा को मन्नतों का पर्व भी कहा जाता है. छठ का व्रत रखने वाली महिलाओं को ‘परवैतिन’ कहा जाता है. छठ पूजा करने वाले लगातार 36 घंटों तक उपवास रखते हैं. इस दौरान खाना तो क्या, पानी तक नहीं पिया जाता है.
गौरतलब है, छठ को लोक आस्था का महापर्व कहा जाता है. पूर्वी उत्तर प्रदेश यानी पूर्वांचल और बिहार में छठ पूजा बड़े धूमधाम से मनाई जाती है. दिल्ली-एनसीआर में भी बिहार के लोगों की संख्या बहुतायत में है. इस वजह से यहां के घाटों पर भी रौनक देखते ही बनती है. यमुना किनारे बने घाटों पर छठ करते व्रतियों को देखकर आपको महसूस ही नहीं होगा कि आप बिहार में नहीं बल्कि दिल्ली में हैं. प्रशासन भी छठ पूजा को लेकर विशेष इंतजाम करता है. घाट की साफ-सफाई और सजावट से लेकर लोगों के लिए चाय इत्यादि की भी सुविधा रहती है. छठ के लिए विशेष तौर पर कई टीमें बनाई जाती हैं. इस दौरान पुलिस प्रशासन भी पूरी तरह मुस्तैद रहता है.