चित्रगुप्त पूजा 2017: चित्रगुप्त पूजा का महत्व और इस वजह से कहा जाता है कलम-दवात पूजा

हर साल दिवाली के दो दिन बाद चित्रगुप्त पूजा की जाती है. कायस्थ लोगों के यहां इस पूजा को कलम-दवात पूजा के नाम से भी जानते हैं. कार्तिक पक्ष द्वितिया को चित्रगुप्त पूजा होती है. इस दिन भाई दूज का त्योहार भी होता है, जिसे कई नामों से पुकारा जाता है, जैसे भाई बीज, भाई फोटा, भाई टीका आदि. हिंदू पुराणों के अनुसार, चित्रगुप्त अपने दरबार में मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा कर न्याय करते थे.

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चित्रगुप्त पूजा 2017: चित्रगुप्त पूजा का महत्व और इस वजह से कहा जाता है कलम-दवात पूजा

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  • October 21, 2017 1:41 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. हर साल दिवाली के दो दिन बाद चित्रगुप्त पूजा की जाती है. कायस्थ लोगों के यहां इस पूजा को कलम-दवात पूजा के नाम से भी जानते हैं. कार्तिक पक्ष द्वितिया को चित्रगुप्त पूजा होती है. इस दिन भाई दूज का त्योहार भी होता है, जिसे कई नामों से पुकारा जाता है, जैसे भाई बीज, भाई फोटा, भाई टीका आदि. हिंदू पुराणों के अनुसार, चित्रगुप्त अपने दरबार में मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा कर न्याय करते थे.  हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक ये जन्म-मृत्यु का चक्र कर्म के आधार पर आधारित है. इस वर्ष, चित्रगुप्त पूजा 21 अक्तूबर, 2017 यानि आज मनाई जा रही है. इस विशेष उत्सव पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि कलम-दवात या चित्रगुप्त पूजा का महत्व क्या हैं. 
 
बता दें कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस दिन को यम द्वितिया भी कहते हैं. दरअसल कायस्थ समुदाय का मानना है कि वे चित्रगुप्त महाराज के वंशज हैं. इस त्योहार को खासतौर पर भारत के कायस्थ जाति के लोग मनाते हैं. लेकिन इस त्योहार को नेपाल के कुछ हिस्सों में भी मनाया जाता है, जो नेपाली खुद को चित्रगुप्त के वंशज बताते हैं. माना जाता है कि चित्रगुप्त देव की दो पत्निया थीं, शोभती और नंदिनी. इन दो पत्नियों से उनके 12 श्रीवास्तव, सूरजध्वज, वाल्मीक, अस्थाना, माथुर, गौड, भटनागर, सक्सेना, अम्बाट, निगम, कर्ण और कुलश्रेष्ठ पुत्र थें. 
 
चित्रगुप्त पूजा का महत्व
इस पूजा को कायस्थ समुदाय के लोग विशेष रूप से करते हैं. भगवान चित्रगुप्त के प्रति इन लोगों की आस्था है कि उन्हें भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने से शांति, ज्ञान, गुरु, शिक्षा और न्याय की प्राप्ति होती है. इस पूजा को दवात-कलम पूजा के नाम से भी जाना जाता है. इसीलिए इस पूजा में पुस्तक, कॉपी, पैन और बही खातों आदि की पूजा होती है. इस पूजा में व्यापारी अपनी बही खातों को भगवान के आगे रखते हैं और कामना करते हैं कि साल भर उनका काम धंधा पहले से बेहतर चले. साथ ही भक्तों का मानना है कि चित्रगुप्त महाराज की प्रार्थना करने से उनके पापों से मुक्ति मिल सकती है और उनकी मृत्यु के बाद उन्हे स्वर्ग की प्राप्ति होती है.
 
चित्रगुप्त पूजा का शुभ मुहूर्त
बता दें कि दोपहर 12 बजे तक ही चित्रगुप्त पूजा करने का शुभ मुहूर्त है. इसलिए सुबह उठकर सबसे पहले पूजा स्थान को साफ कर एक चौकी पर कपड़ा बिछा कर श्री चित्रगुप्त जी का फोटो स्थापित करें. यदि प्रतिमा उपलब्ध न हो तो कलश को प्रतीक मान कर चित्रगुप्त जी को स्थापित करें.
 
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