नई दिल्ली: देश भर में दिवाली यानी दीपावली की धूम है. सत्य के प्रतीक और प्रकाश का पर्व दिवाली हर जगह धूमधाम से मनाई जा रही है. भले ही दिवाली 19 अक्टूबर को है, मगर इसे सेलिब्रेट करने की शुरुआत तो धनतेरस से ही शुरू हो जाती है. दिवाली के दिन विधिवत रूप से भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस दिन शुभ मुहूर्त में गणेश-लक्ष्मी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और अन-धन में बढ़ोतरी होती है. जैसे हर पर्व त्योहार का अपना एक अलग महत्व होता है उसकी खास पूजा विधि, मुहूर्त होता है, ठीक इसी तरह दिवाली का भी अपना एक शुभ मुहूर्त है. इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से यश की प्राप्ती होती है.
ऐसी मान्यता है कि कार्तिक अमावस्या के दिन दिवाली का त्योहार होता है. दिवाली के दिन भगवान गणेश और मां लक्ष्मी का घर में आगमन होता है. मगर गणेश-लक्ष्मी पूजन के तीन शुभ मुहूर्त हैं. इन तीनों शुभ मुहूर्तों में पूजन कार्य करने का अपना एक खास महत्व है.
पहला मुहूर्त: प्रदोष काल मुहूर्त- इस मुहूर्त में शुभ मुहूर्त करीब 1 घंटे 5 मिनट तक है. लक्ष्मी माता का पूजा का शुभ मुहूर्त 05.43 से 08.06 तक है. वहीं वृषभ काल में 7.11 से 9.06 बजे तक है.
दूसरा मुहूर्त : चौघड़िया मुहूर्त – दीपावली के लिए शुभ चौघडिया मुहुर्त कल सुबह 6:28 से 8:53 का है. फिर शाम 4:19 से 8:55 तक है.
तीसरा मुहूर्त: महानिशिता काल मुहूर्त– दिवाली के लिए महानिशिता काल मुहूर्त रात 11.40 बजे से 12.31 बजे तक है.
कैसे करें पूजा-
दिवाली की शाम पूजा से पहले शरीर पर चंदन का लेप लगाकर स्नान करें और फिर भगवान कृष्ण की पूजा करें. घर के बाहर दीप जलाएं. दिपावली पूजन के लिए चांदी का एक सिक्का खरीदें. दीया जलाने के बाद एक मंत्र का जाप करें.
दिवाली के दिन पूजा में कौन सा मंत्र जाप करें- शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदाम्… शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोस्तु ते !! बता दें कि मंत्र का जाप दीया जलाने के बाद करें. कम से कम 11 बार मंत्र जरूर पढ़ें. मंत्र का जाप करते समय ध्यान ना भटकाएं. ये मंत्र घर से नकारात्मक उर्जा दूर करता है. घर से रोग और क्लेश दूर करता है. ये मंत्र बच्चों की यादाश्त को बेहतर करता है.
दिवाली टिप-
लक्ष्मी पूजा के दौरान तिजोरी के द्वार खोले रखें. मां के चरण पादुका बनाएं जो तिजोरी की तरफ जाते हों. पूजा के बाद तिजोरी बंद कर दें.
दिवाली महाउपाय
दिवाली के दिन किसी स्त्री और बच्चे से उसकी खुशी से एक रूपया ले लें और फिर उसे पर्स में रखें. शाम को पूजा में उस सिक्के को रखें. बाद में उसमें ज्यादा पैसे मिलाकर किसी जरूरतमंद को दान करें.
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