नई दिल्ली. कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की द्वादश को गोवत्स द्वादश का पर्व मनाया जाता है. वैसे तो कार्तिक को त्योहारों का महीना कहा जाता है. कार्तिक माह में दिवाली, धनतेरस, भाईदूज, नरक चतुर्दशी, गोवर्धन पूजा जैसे कई त्योहार मनाए जाते हैं. इस वर्ष दिवाली 19 अक्टूबर की है और 18 अक्टूबर 2017 को छोटी दिवाली है. दिवाली से 3 दिन पहले गोवत्स पर्व होता है. इस दिन माताएं अपने बच्चों की सलामती और घर की खुशियों के लिए गौमाता की पूजन जाती है. गोवत्स द्वादश को बच्छ दुआ और बछ बारस नाम से भी जाना जाता है. इस दिन गौ माता या उसके बछड़े की पूजा की जाती है.
गोवत्स द्वादशी पर क्यों की जाती है गौमाता की पूजा
इस दिन गाय या उसके बछड़ों की पूजा करने की प्रथा है.
गोवत्स द्वादशी को गाय की पूजा करने के पीछे कई मान्याएं प्रचलित है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण के जन्म के बाद लड्डू गोपाल की मां यशोदा ने गौमाता की पूजा की थी. तभी से ये प्रथा चली आ रही है कि इस दिन गौमाता की विधिविधान से पूजा की जाती है.
ऐसे करें गौमाता की पूजा
इस दिन गौमाता की पूजा करने के लिए गाय या उसके बछड़े को नहलाया जाता है. इसके बाद चुनरी उड़ाई जाती है. इसके बाद गौमाता को तिलक लगाएं. फिर उन्हें रोटी, आटा, पूड़ी, गुड़, खिलाएं. इस दिन शाम को अपने बच्चे की पसंद का पसंदीदा व्यंजन बनाएं. गौमाता की पूजा करने से उनकी घर खुशियां बनी रहती है. कहा जाता है कि गौमाता की कृपा से परिवार में किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती है. यह पूजन बेटों की सलामती व लंबी उम्र के लिए भी होता है.
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