नई दिल्ली : तुलसी का पौधा तो अधिकतर लोगों के घर में लगा होता है, प्रत्येक दिन इसकी पूजा करनी चाहिए. क्या आप जानता हैं कि जिस घर में तुलसी का पौधा लगा होता है उस घर में कभी वास्तु दोष नहीं होता है. केवल इतना ही नहीं तुलसी का पौधा बुरी नजर से भी आपको बचा कर रखता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, विष्णु पुराण में भी तुलसी के महत्व की व्याख्या का वरनन बताया गया है, यही कारण है कि हर घर में आपको तुलसी का एक पौधा तो दिख ही जाएगा. आज हम आपको बताएंगे कि जिस वक्त आप माता तुलसी की पूजा कर रहे हैं उस दौरान आपको ऐसे कौन-कौन से नियम हैं जिनका पालन करना चाहिए और साथ ही रविवार को तुलसी का पत्ता न तोड़ने के पीछे की वजह क्या है.
आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि विष्णु पुराण के मुताबिक, केवल रविवार को ही नहीं बल्कि एकादशी, द्वादशी, संक्रान्ति, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण तथा संध्या काल के दौरान भी तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि माता तुलसी एकादशी व्रत रखती हैं, यही कारण कि तुलसी का पत्ता तोड़कर उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए. एकादशी के
दिन पत्ते तोड़ने से घर में गरीबी का वास होता है.
ऐसी मान्यता है कि रविवार विष्णु भगवान का प्रिय दिन है, यही वजह है कि ऐसे में लक्ष्मी के रूप तुलसी को इस दिन तोड़ना उनका अपमान करने जैसा है. इसलिए कहते हैं कि रविवार को भी तुलसी का पत्ता तोड़ने की मनाही होती है. एक बात जो विशेष रूप से ध्यान रखने वाली है वो ये है कि बिना स्नान किए कभी भी तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए. शास्त्रों के मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति बिना नहाए तुलसी के पत्तों को तोड़ता है तो पूजन में ऐसे पत्ते भगवान द्वारा स्वीकार नहीं किए जाते हैं. बता दें कि तुलसी के पत्तों को 11 दिनों तक बासी नहीं माना जाता है. प्रतिदिन पत्तियों पर जल छिड़कर पुन: भगवान को अर्पित किया जा सकता है. बता दें कि शिवजी, गणेशजी और भैरवजी पर तुलसी चढ़ाना सख्त माना है.