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Diwali 2017: जानिए दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

नई दिल्ली. दिवाली देश के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. दिवाली 2017 पर शुभ मुहूर्त और सही विधि से पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. दिवाली का त्योहार 19 अक्टूबर को है कि बाजारों में इसकी धूम अभी से दिखने लग गई है. इस दिन दीप जलाकर मां लक्ष्मी […]

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  • October 14, 2017 5:24 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. दिवाली देश के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. दिवाली 2017 पर शुभ मुहूर्त और सही विधि से पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. दिवाली का त्योहार 19 अक्टूबर को है कि बाजारों में इसकी धूम अभी से दिखने लग गई है. इस दिन दीप जलाकर मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. दिवाली को दीपावली के नाम से भी जाना जाता है. दिवाली का त्योहार धनतेरस पर्व से शुरू होकर भैया दूज पर खत्म होता है. वैसे तो कार्तिक माह लगते ही त्योहारों की झड़ी लग जाती है. अश्विन की शरद पूर्णिमा से ही कार्तिक लग जाता है. इस महीने में कई त्योहार मनाए जाते हैं. इसी माह में दिवाली, गोवर्धन पूजा 2017, भैया दूज 2017 और छठ पूजा जैसे बड़े त्योहार आते हैं.
 
महालक्ष्मी पूजन शुरू करने से पहले इन बातों का रखें ख्याल
दिवाली वाले दिन जो बात आपको विशेष रूप से ध्यान रखनी चाहिए वो ये है कि इस दिन मां लक्ष्मी को लाल वस्त्र जरूर पहनाएं. कलश की स्थापना करने के बाद मां लक्ष्मी की आराधना करें. इस दिवाली महालक्ष्मी पूजन का मुहूर्त सुबह सात बजे से शुरू हो रहा है. यह मुहूर्त रात साढ़े आठ बजे तक रहेगा. महालक्ष्मी पूजा के लिए इस मंत्र से होती है जो इस प्रकार है.. ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा. य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर. 
 
जानिए दिवाली पूजा 2017 और दिवाली शुभ मुहूर्त
दिवाली 2017 – 19 अक्टूबर गुरुवार
इस दिन पूजा करने के लिए 3 शुभ मुहूर्त है. इन तीनों मुहूर्त में पूजा करने का विशेष महत्व होता है. इन विशेष मुहूर्त पर आप मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु, भगवान गणेश और भगवान कुबेर की पूजा करें.
 
1. प्रदोष काल मुहूर्त
समय- 1 घंटा और 5 मिनट
मां लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त- 05.43 से 08.06 
वृषभ काल- 7.11 से 9.06 
 
2. चौघड़िया पूजा मुहूर्त
सुबह- 6.28 से 7.53 
शाम- 4.19 से 8.55
 
3.महानिशिता काल मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा का अवधि- 51 मिनट
महानिशिता काल- 11.40 से 12.31 
 
इस मंत्र का करें उच्चारण
ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतो पिवा ।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर:।।

 

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