नई दिल्ली : दिवाली 2017 का त्योहार मन के अंधकार को दूर करने की सीख देता है लेकिन वो कहते हैं ना कि हर चीज के साथ कुछ बातें जुड़ी होती हैं. दिवाली 2017 की रात लोगों को ताश खेलते हुए तो आपने देखा होगा लेकिन आप शायद इस बात से अंजान होंगे कि आखिर दिवाली की रात ताश खेलने के पीछे का क्या महत्व है ? आज हम आपको बताएंगे कि दिवाली पर ताश खेलने की शुरुआत कब से हुई ? दिवाली 2017 पर शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा करने के पीछे भी एक बड़ी वजह है. दिवाली वाले दिन कुछ ऐसे टिप्स भी हैं जो आप लोगों को जरूर फॉलो करने चाहिए.
आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि पौराणिक कथाओं के अनुसार, दिवाली की रात ताश खेलना शुभ माना जाता है. ये बात पढ़ने के बाद यकीनन आपका भी सिर चकरा गया होगा लेकिन इसके पीछ का कारण क्या है अब हम आपको इससे अवगत कराएंगे. ऐसा माना गया है कि दिवाली की रात शिव जी माता पार्वती के साथ गेम ऑफ डाइस (Ludo) खेल रही थी और जब माता पार्वती गेम जीत गई तो उन्होंने धोषणा की अगर कोई भी दिवाली की रात जुआ खेलता है तो उस व्यक्ति को पूरे साल धन-सम्पत्ति मिलेगी.
उस दिन से आज तक दिवाली की रात इस गेम को खेलने का मानो रिवाज सा बन गया है लेकिन जैसे-जैसे समय निकला गेम ऑफ डाइस (Ludo) की जगह कार्ड गेम ने ले ली, दिवाली की रात को लोग तीन पत्ती ( फ्लैश और Rummy) खेलना पसंद करते हैं. बता दें कि शिवजी और मां पार्वती द्वारा दिवाली पर जुआ खेलने का ठोस तथ्य किसी ग्रंथ में नहीं मिलता. यही कारण है कि दिवाली की रात जुआ खेलना शुभ माना गया है.
कैसे खेला जाता है तीन पत्ती गेम
दक्षिण एशिया में कार्ड गेम काफी लोकप्रिय है, 52 कार्ड्स की इस गेम को लगभग 4 से 7 खिलाड़ी खेलते हैं. एक बार में हर प्लेयर को तीन कार्ड दिए जाते हैं, इसके बाद एक प्लेयर पूछता है कि किसके बाद तीन बेस्ट कार्ड हैं. तीन पत्ती गेम को नंबर, कलर या सिक्वेंस के हिसाब से खेला जाता है. हालांकि ऐसा लोगों का आज भी मानना है कि दिवाली पर जुआ खेला शुभ होता है. इसलिए जो कभी नहीं खेलात वो भी खेलनी की चाहत रखता है.