नई दिल्ली. जैन समुदाय में रोहिणी व्रत का विशेष महत्व है. इस बार रोहिणी व्रत 10 अक्टूबर यानि आज है. इस व्रत को वैसे तो जैन धर्म के लोग किया करते थे, लेकिन इस व्रत के प्रभाव को देखते हुए कई अन्य लोग भी इस व्रत को करने लगे. इस व्रत को को पति की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है. साथ ही इस व्रत को करने से सभी दुख तकलीफ और परेशानियों से छुटकारा मिलता है. इस व्रत को में दान देने का महत्व होता है. 27 नक्षत्रों में शामिल रोहिणी नक्षत्र के दिन यह व्रत किया जाता है. रोहिणी नक्षण की वजह से ही इसे रोहिणी व्रत कहते हैं.
रोहिणी व्रत पूजा विधि
सबसे पहले तो ये जान लें कि रोहिणी व्रत को एक निश्चित अवधि के लिए किया जाता है. जैसे अगर आप इस व्रत को करते हैं तो आप इसे 3 साल, 5 साल या 7 साल तक करना होगा. इस व्रत के सिए सबसे पहले सुबह उठकर नहा-धो कर वासुपूज्य की पूजा की जाती है. इस दिन वासुपूज्य देव की अराधना करने के बाद गरीबों को दान देने की प्रथा भी है.
उद्यापन विधि
जैसा कि हमने आपको बताया कि कि इस व्रत को एक निश्चित समय के लिए ही किया जाता है. इसीलिए इस व्रत को करने के बाद अगर इस व्रत का उद्यापन करना चाहते हैं तो इसे 3 साल, 5 साल या 7 साल बाद उद्यापन कर सकते हैं. उद्यापन के लिए इस व्रत को पूरा कर गरीबों को दान करने की परंपरा है. इस व्रत में दान करना बहुत शुभ माना जाता है.