रमा एकादशी 2017 : विधि-विधान से करें पूजा, ये है व्रत तिथि और कथा
रमा एकादशी 2017 : विधि-विधान से करें पूजा, ये है व्रत तिथि और कथा
दिवाली से चार दिन पहले कार्तिक महीने में एकादशी के दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस महीने की एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है. इस एकादशी को हिंदू परंपरा में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस बार एकादशी 30 नवंबर को है. इस दिन विशेष कथा पढ़कर भगवान की अराधना की जाती है.
October 9, 2017 6:41 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. दिवाली से चार दिन पहले कार्तिक महीने में एकादशी के दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस महीने की एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है. इस एकादशी को हिंदू परंपरा में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस बार एकादशी 30 नवंबर को है. इस दिन विशेष कथा पढ़कर भगवान की अराधना की जाती है. इस व्रत को करने से भगवान अपने भक्तों के घर में सुख-समृद्धि का आशर्वाद देते हैं.
रमा एकादशी उपवास पूजा विधि
एकादशी पर व्रत रखा जाता है. इस दिन का व्रत दशमी से शुरू हो जाता है. इस दिन घर में चावल नहीं बनाए जाते और न ही खाएं जाते हैं. जो व्यक्ति व्रत करता है उसे जल्दी सुबह उठकर स्नान कर भगवान की पूजा करनी होती है. इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. फल, फूल, धूप, तुलसी के पत्ते से भगवान की पूजा की जाती है. भगवान की पूजा के बाद कथा सुनने की प्रथा है. कथा सुनने के बाद बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें और अपने व्रत को पूरा करें.
कहा जाता है कि एक मुचुकुंद नाम के राजा थे. राजा की एक कन्या थी. जिसका नाम चन्द्रभागा था. इस राजकुमारी का विवाह राजा चंद्रसेन के बेटे शोभन के साथ विवाह हुआ. राजा शोभन बिना खाना-पानी एक मिनट भी नहीं रह सकता था. एक बार राजकुमारी और शोभन राजा मुचुकुंद के राज्य में गए. लेकिन राजकुमारी परेशान हो रही थी क्योंकि उस दिन एकादशी थी. और उसके पिता के राज्य में इस दिन कोई भी खाना नहीं खाता है. ये सुनकर शोभन ने प्रण किया कि वो भी व्रत करेंगे. राजा शोभन ने व्रत तो किया लेकिन राजा भूख-प्यास बर्दाश नहीं कर पाया और उनकी मौत हो गई. इसके बाद राजकुमारी ने अपने पिता के राज्य में रह कर ही पूजा पाठ की और एकादशी का व्रत पूरी विधि-विधान के साथ करना शुरू किया. इस व्रत को करने से उसके पति को अगले जन्म में देवपुर गांव के राजा के रूप में जन्म लिया. इस प्रकार कहा जाता है कि इस व्रत को करने से जीवन की कठनाईयां कम होती है. साथ ही घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
रमा एकादशी तिथि
एकादशी तिथि शुरू- 15 अक्टूबर दोपहर 2.30 बजे
एकादशी तिथि का समाप्त- 16 अक्टूबर दोपहर 1.05 बजे तक