करवा चौथ 2017: करवा चौथ की कथा और करवा चौथ व्रत की पूजा विधि

आज करवा चौथ का त्योहार है. करवा चौथ के दिन सभी सुहागन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. महिलाएं इस दिन करवा चौथ व्रत पर कथा और उसकी पूरी पूजा विधि करके अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं.

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करवा चौथ 2017: करवा चौथ की कथा और करवा चौथ व्रत की पूजा विधि

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  • October 7, 2017 7:11 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: आज करवा चौथ का त्योहार है. करवा चौथ के दिन सभी सुहागन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. महिलाएं इस दिन करवा चौथ व्रत पर कथा और उसकी पूरी पूजा विधि करके अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं. इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखकर रात में चांद दिखते ही अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती हैं. महिलाओं का यह व्रत सुबह ब्रह्ममुहूर्त से शुरू होकर रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर संपूर्ण होता है. महिलाएं व्रत रखकर करवा चौथ से सम्‍बंधित कथा सुनती और सुनाती भी हैं तथा रात में चंद्रोदय होने पर उसकी पूजा-अर्चना कर पति के हाथों से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं.
 
 
जो महिला करवा चौथ का व्रत करती है वह सूरज के उदय होने से पहले ही नहा लें और संकल्प लें. इसके बाद घरों के बड़ो द्वारा दी गई सरगी खा लें. सरगी में सेंवई, मिठाई, पूड़ी, फल और श्रृंगार का सामान दिया जाता है. ध्यान रहे सरगी में प्याज-लहसून से जुड़ा कोई व्यंजन न हो और उसे खाएं भी नहीं. सरगी के बाद से ही निर्जला व्रत शूरू हो जाता है और इस व्रत में भगवान गणेश, माता पार्वत और शिव शंकर का ध्यान करना चाहिए. 
 
इसके बाद दिवार पर गेरु से फलक बनाएं और पीसे चावल के घोल से करवा बनाएं. यह एक पौराणिक परंपरा है, इसे करवा धरना भी कहा जाता है. इस दिन पूजा के लिए आठ ड़ियों की अठावरी, हलवा और पक्का खाना ही बनाना चाहिए. इसके बाद शाम के समय में पीली मिट्टी से मां गौरी और गणेश जी का स्वरुप बनाएं साथ ही मां गौरी की गोद में भगवान गणेश का स्वरुप बैठाएं और पूजा करें. ध्यान रहे माता गौरी को लकड़ी के सिंहासन पर बैठकर लाल रंग की चुनरी उठाएं. माता गौरी का श्रृंगार सामाग्री से श्रृंगार करें. इसके बाद उनकी मूर्ति के सामने जल से भरा हुआ एक कलश रख दें.
 
गौरी और गणेश के स्वरुपों की पूजा करें. इसके साथ- नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्… प्रयच्छ भक्तियुक्तनां नारीणां हरवल्लभे. ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार में चली आ रही प्रथा के अनुसार ही पूजा करती हैं. इसके बाद शूभ मूहूर्त में करवाचौथ की कहानी सुननी चाहिए. कथा सुनने के बाद घर के सभी बड़ों का आशीर्वाद लेना चाहिए. फिर रात में चांद निकलने के बाद छन्नी के सहारे चांद को देखें और अर्ध्य दें. फिर पति के हाथ से पानी का घूंट पीकर अपना उपवास पूरा करें.
 
 
सात भाइयों की रानी वीरावती अकेली बहन थीं. शादी के बाद जब वह भाइयों के पास आईं तो उसी दौरान एक दिन उन्होंने करवा चौथ का व्रत रखा. उन्हें चंद्रमा निकलने के बाद ही कुछ खाना था. ऐसे में उनके भाइयों से अपने बहन के लिए कष्ट देखा नहीं गया और उन्होंने धोखे से नकली चांद दिखाकर उनका व्रत तुड़वा दिया. जैसे ही वीरावती ने खाना खत्म किया, उन्हें तुरंत ससुराल से अपने पति के बीमार होने का समाचार मिला और महल पहुंचने तक उनके पति की मृत्यु हो गई थी. उन्होंने माता पार्वती की पूजा की और उनकी सलाह पर उन्होंने विधिवत करवा चौथ का व्रत पूरा किया और अपने पति की जिंदगी वापस लेकर आईं.

 
पूजा शाम 5:55 से शाम 7:09 के बीच करनी है, इस पूजा में आपको 1 घंटा 14 मिनट का वक्त मिलेगा. इस बार चंद्रोदय 8 अक्टूबर को रात्रि 8.10 मिनट पर हो रहा है. ॐ गणेशाय नमः से गणेश का, ॐ उमा दिव्या नम: से पार्वती का, ॐ नमः शिवाय से शिव का, ॐ षण्मुखाय नमः से कार्तिकेय का और ॐ सोमाय नमः से चंद्रमा का पूजन करें. रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर और पति को छलनी से देखने के बाद इस व्रत का समापन किया जाता है. चतुर्थी के देवता भगवान गणेश हैं. इस व्रत में गणेश जी के अलावा शिव-पार्वती, कार्तिकेय और चंद्रमा की भी पूजा की जाती है. 

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