नई दिल्ली. आज देशभर में शरद पूर्णिमा मनाई जा रही है. शरद पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. लक्ष्मी पूजा विशेष विधि और शुभ मुहूर्त के अनुसार की जाती है. अगर इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जाए तो हर घर में देवी लक्ष्मी की कृपा से धन और ऐश्वर्या की कभी कमी नहीं होती है. शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी का जन्मदिन होता है. जिसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इसीलिए आज होने वाली विशेष पूजा का महत्व और पूजा विधि जानकर ही पूजा संपन्न करें.
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहुर्त:
सिद्धि मुहुर्त: शाम 5.57 मिनट से रात 7.49 मिनट तक.
अमृत मुहुर्त: रात 7.50 मिनट से रात 9.17 मिनट तक.
लक्ष्मी पूजा का महत्व
मान्याता के अनुसार इस दिन जन्म देवी लक्ष्मी का जन्म हुआ था. और इस दिन मां लक्ष्मी अपनी सवारी उल्लू पर बैठकर भगवान विष्णु के साथ पृथ्वी का भ्रमण करने आती है. इस दौरान मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु धरती पर आकर लोगों का दुख हरते हैं. इसलिए इस पूजा को जरूर किया जाता है.
मां लक्ष्मी को लगाएं ये भोग
आज के दिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण खीर का भोग लगाना होता है. चावल की खीर बनाकर चंद्रमा की चांदनी में उसे रखा जाता है ताकि चंद्रमा की सारी चांदनी खीर में समा जाए. कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा धरती के सबसे करीब होता है और अपनी पूरी 16 कलाओं के साथ जागृत होता है, ऐसे में चंद्रमा की हीलिंग प्रॉपर्टी भी बढ़ जाती है. रात भर चंद्रमा की चांदनी में रखी खीर को सुबह के वक्त ग्रहण कर सकते हैं. लक्ष्मी जी को इस खीर का भोग लगाने के बाद उसे ग्रहण किया जा सकता है.
शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी का करें पूजन
पूर्णिमा के दिन सुबह में इष्ट देव की पूजा करनी चाहिए. इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए. ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए. लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है. इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है. रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए.मंदिर में खीर आदि दान करने का विधि-विधान है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है.