Sharad Purnima 2017 : आज इस शुभ मुहूर्त और विधि से करें मां लक्ष्मी की पूजा, ये है महत्व
शरद पूर्णिमा 5 अक्टूबर यानि आज मनाई जा रही है. इस दिन व्रत किया जाता है. अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं. इस पूर्णिमा का बहुत महत्व होता है. इस दिन कुछ लोग रात को जागरण या जगराता रखते हैं. पूरी रात जग कर देवी लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है. इस दिन खीर के प्रसाद की मान्याता है. इसे कोजागरी या रास पूर्णिमा भी कहते हैं.
October 5, 2017 2:52 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. शरद पूर्णिमा 5 अक्टूबर यानि आज मनाई जा रही है. इस दिन व्रत किया जाता है. अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं. इस पूर्णिमा का बहुत महत्व होता है. इस दिन कुछ लोग रात को जागरण या जगराता रखते हैं. पूरी रात जग कर देवी लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है. इस दिन खीर के प्रसाद की मान्याता है. इसे कोजागरी या रास पूर्णिमा भी कहते हैं.
जानें पूर्णिमा पूजा का महत्व
मान्याता के अनुसार इस दिन जन्म देवी लक्ष्मी का जन्म हुआ था. और इस दिन मां लक्ष्मी अपनी सवारी उल्लू पर बैठकर भगवान विष्णु के साथ पृथ्वी का भ्रमण करने आती है. इस दौरान मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु धरती पर आकर लोगों का दुख हरते हैं. इसलिए इस पूजा को जरूर किया जाता है.
इसके अलावा आज के दिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण खीर का भोग लगाना होता है. चावल की खीर बनाकर चंद्रमा की चांदनी में उसे रखा जाता है ताकि चंद्रमा की सारी चांदनी खीर में समा जाए. कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा धरती के सबसे करीब होता है और अपनी पूरी 16 कलाओं के साथ जागृत होता है, ऐसे में चंद्रमा की हीलिंग प्रॉपर्टी भी बढ़ जाती है. रात भर चंद्रमा की चांदनी में रखी खीर को सुबह के वक्त ग्रहण कर सकते हैं. लक्ष्मी जी को इस खीर का भोग लगाने के बाद उसे ग्रहण किया जा सकता है.
शरद पूर्णिमा पर कैसे करें पूजन
पूर्णिमा के दिन सुबह में इष्ट देव की पूजा करनी चाहिए. इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए. ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए. लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है.
इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है. रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए.मंदिर में खीर आदि दान करने का विधि-विधान है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है.