नई दिल्ली. दशहरे की धूम आज देश भर में छाई हुई है. आज के दिन रावण का दहन किया जाता है. इस दिन असत्य पर सत्य की हुई थी जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि दशहरे के दिन शमी के पेड़ की पूजा और नीलकंठ पक्षी के दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इतना ही नहीं विजयादशमी पर रावण दहन के बाद कई प्रांतों में शमी के पत्ते को सोना समझकर देने का प्रचलन है, तो कई जगहों पर इसके वृक्ष की पूजा का प्रचलन. आइए जानते हैं क्यों पूजनीय है यह वृक्ष और क्यों शुभ है नीलकंठ पक्षी .
नीलकंठ पक्षी के दर्शन का ये है महत्व
दशहरा पर्व पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन को बेहद शुभ माना जाता है. कहा जाता है विजयदशमी के दिन अगर इस पक्षी के दर्शन हो जाते हैं तो उस व्यक्ति धन-धान्य की प्राप्ति होती है. इसे शुभ मानने का कारण ये है कि भगवान राम ने नीलकंठ के दर्शन के बाद रावण पर विजय प्राप्त की थी.
इसीलिए की जाता है शमी वृक्ष का पूजन
विजयादशमी पर रावण दहन के बाद कई प्रांतों में शमी के पत्ते को सोना समझकर देने का प्रचलन है, तो कई जगहों पर इसके वृक्ष की पूजा का प्रचलन. इसके पीछे हिंदू धर्म में ये मान्यता है कि महाभारत के युद्ध में पांडवों ने इसी वृक्ष के ऊपर अपने हथियार छुपाए थे और बाद में उन्हें कौरवों से जीत प्राप्त हुई थी. बता दें गुजरात कच्छ के भुज शहर में लगभग साढ़े चार सौ साल पुराना एक शमीवृक्ष है.
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