नवरात्र 2017: जानें कन्या पूजन की सही विधि और मान्यताएं

नवरात्रि में कन्या पूजन का अपना अलग महत्व है. शुक्रवार को नवरात्रि का नौवां दिन है. कल ही नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजन के बाद ही भक्त का नवरात्र व्रत पूरा होता

Advertisement
नवरात्र 2017: जानें कन्या पूजन की सही विधि और मान्यताएं

Admin

  • September 28, 2017 2:32 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: नवरात्रि में कन्या पूजन का अपना अलग महत्व है. शुक्रवार को नवरात्रि का नौवां दिन है. इसी दिन नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजन के बाद ही भक्त का नवरात्र व्रत पूरा होता है. ऐसे में आपको कन्या पूजन से पहले हम आपको बताएंगे कि कन्या पूजन कैसे किया जाता है.
 
सबसे पहले तो आपको बता दें कि कन्या पूजन में शामिल होने वाली कन्याओं की आयु दो वर्ष से ऊपर तथा 10 वर्ष तक होनी चाहिए. पूजन में कम से कम 9 कन्या तो जरूरी हैं. इसके साथ-साथ एक बालक भी होना चाहिए जिसे हनुमानजी का रूप माना जाता है.
 
 
ऐसा मानना है कि जिस प्रकार मां की पूजा भैरव के बिना पूर्ण नहीं होती, उसी तरह कन्या-पूजन के समय एक बालक को भी भोजन कराना बहुत जरूरी होता है. यदि 9 से ज्यादा कन्या भोज पर आ रही है तो कोई आपत्ति नहीं है. उनका भी उसी तरह सत्कार करें.
 
कन्या पूजन की विधि
आप जिन-जिन कन्याओं को भोज और पूजन में शामिल करना चाहते हैं उन्हें पूजा से एक दिन पहले ही आमंत्रित कर दें क्योंकि इधर-उधर से कन्याओं को पकड़ के लाना सही नहीं होता है. घर में प्रवेश पर कन्याओं का स्वागत करें और मां दुर्गा के नौ नामों का जयकारा जरूर लगाएं.
 
 
घर आईं कन्याओं के सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए और पैर छूकर आशीष लेना न भूले. सके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए. फिर इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं. अंत में इन कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और पैर छूकर आशीर्वाद लें. 

Tags

Advertisement