नई दिल्ली: चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. जैसा कि सब जानते हैं कि नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. वहीं चैत्र मास नवरात्र के अष्ठमी को शीतला अष्टमी कहते है.
शीतला अष्टमी को मां शीतला माता की पूजा की जाती है. चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतला मां की पूजा अर्चना की जाती है. खास बात यह है कि शीतला माता को हमेशा ठंडा भोग और पंचामृत ही अर्पित किया जाता है. जिसे बसौडा कहा जाता है.
आज हम आपको शीतला माता के उस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका इतिहास सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे. सालों साल यूं ही खड़ा यह चमत्कारी मंदिर राजस्थान के पाली जिले में है. इस प्राचीन शीतला माता के मंदिर में आधा फीट गहरा और इतना ही चौड़ा घड़ा स्थित है जिसे साल में दो बार श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है.
जानकारी के अनुसार इस घड़े का इतिहास करीब 800 साल पुऱाना है. इस चमत्कारी घड़े की खासियत के बारे में कहा जाता है कि इस ड़े में कितना भी पानी भरा जाए लेकिन यह कभी पूरा नहीं भरता. इतना ही नहीं जानकारी के अनुसार इस घड़े में अब तक 50 लाख लीटर से ज्यादा पानी भरा जा चुका है.
कुछ लोगों का मानना के ही इस घड़े का पानी कोई राक्षस पीता है इसलिए इसका पानी कभी भरता नहीं है. और साल में जिन दो बार घड़े को खोला जाता है वो दो दिन है शीतला सप्तमी पर और दूसरा ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा.
जानकारों की मानें तो शीतला माता के मंदिर में मौजूद इस चमत्कारी घड़े को लेकर कई वैज्ञानिक शोध हो चुके हैं, लेकिन अभी तक इस बात का पता नहीं लगाया जा सका है कि आखिर घड़े का पानी जाता कहा है.