नई दिल्ली. दुर्गा का सातवां रूप है मां कालरात्रि. 7वें नवरात्रि 2017 में मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए मां कालरात्रि के रूप को उत्पन्न किया. मां के इस रूप की पूजा करने से बुरे समय का नाश होता है. और इनकी कृपा से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
मां कालरात्रि पूजा विधि
नवरात्र में 7वें दिन और दिन से पूजा थोड़ी अलग होती है. इस दिन रात के समय पूजा का विधान एक दम रोज से भिन्न होता है. कहा जाता है इस दिन मदिरा अर्पित की जाती है. सप्तमी की रात सिद्धियों की रात भी कहा जाता है.
मां कालरात्रि की उत्पत्ति की कथा
कहा जाता है तीनों लोकों में असुरों ने हाहाकार मचा रखा था. इससे लोग बेहद परेशान थे. जिसके लिए सभी देवतागण मां दुर्गा के पास गए. तभी भगवान शिव ने मां दुर्गा से सभी भक्तों की रक्षा करने के लिए कहा. तब मां दुर्गा ने अन्य रूप धारण कर असुर रक्तबीज का वध किया. मां दुर्गा के इसी रूप को मां कालरात्रि कहा गया.
मां कालरात्रि पूजा में इस मंत्र का जाप करें:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
मां को गुड़ का भोग लगाएं.