नई दिल्ली: हर तरफ नवरात्र की धूम मची हुई है. जैसा कि आपको पता है 2017 के शारदीय नवरात्र 21 सितंबर से शुरू हो गए हैं. इस दौरान हर दिन दुर्गा माता की 9 रूपों की पूजा की जाती है.
हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार नवरात्र के हर दिन का अपना एक अलग महत्व है. खासतौर पर अष्टमी से नवमी यानी 3 से 9 तक में कन्याओं का पूजन करने की परंपरा है. कुंवारी कन्या को साक्षात मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है. इसलिए नवरात्र के नवां दिन 9 कन्याओं को खिलाया जाता है.
आज आपको बताते हैं नवरात्र में कन्या पूजन का महत्व क्या है और उसके क्या फायदें हैं:
दो वर्ष की कन्या को कौमारी कहा जाता है. मान्यता है कि इनके पूजन से दुख और दरिद्रता समाप्त हो जाती है.
तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है. त्रिमूर्ति के पूजन से धन-धान्य का आगमन और संपूर्ण परिवार का कल्याण होता है.
चार वर्ष की कन्या कल्याणी नाम से संबोधित की जाती है. कल्याणी की पूजा से सुख-समृद्धि मिलती है.
पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कही जाती है. रोहिणी की पूजन से व्यक्ति रोग मुक्त होता है.
छह वर्ष की कन्या चण्डिका के पूजन से ऐश्वर्य मिलता है.
आठ वर्ष की कन्या शाम्भवी की पूजा से लोकप्रियता प्राप्त होती है.
नौ वर्ष की कन्या दुर्गा की अर्चना से शत्रु पर विजय मिलती है, असाध्य कार्य सिद्ध होते हैं.