नई दिल्ली. चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. जैसा कि सब जानते हैं कि नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि अष्टमी पर मां गौरी की पूजा की जाती है. मां गौरी की पूजा का विशेष महत्व होता है. इस अवसर पर पूजा-पाठ और कन्या पूजन किया जाता है.
नवरात्रि में अष्टमी का महत्व
नवरात्रि के आठवें दुर्गा के महागौरी रूप का पूजन किया जाता है. मां गौरी का नाम गौरी इसीलिए है क्योंकि ये खूब सुंदर, अति गौर वर्ण हैं. जिसके कारण इन्हें मां दुर्गा के इस रूप को मां गौरी कहा जाता है. मां गौरी का पूजन करने से असंभव कार्य भी पूरे होते है. सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है. सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है. और भक्तों की मनोकामना पूरी होती है.
अष्टमी को होता है कन्या पूजन
माता महागौरी अन्नपूर्णा स्वरूप है. इसीलिए अष्टमी के दिन अन्नकूट पूजा यानि कन्या पूजन करना अति उत्तम माना जाता है. इस दिन लोग कन्याओं और ब्रह्रामणों को भोज करवाया जाता है. इस दिन लोग छोले, पूड़ी, खीर, हलवा आदि का महागौरी को भोग लगाकर कन्याओं को भोज करवाया जाता है.
अष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त
28 सितंबर 2007- इस बार अष्टमी 27 सितंबर से शाम 7.08 मिनट पर शुरू हो जाएगी. अष्टमी पूजन 28 सितंबर को शाम 9.36 मिनट तक रहेगा. इसीलिए भक्त 28 सितंबर की सुबह कन्या पूजन कर सकते हैं.
महागौरी की पूजा के दौरान इन मंत्र का उच्चारण करें
1. ॐ महागौर्य: नम:
2. ॐ नवनिधि गौरी महादैव्ये नम: