नवरात्रि 2017: कानूनी दांव-पेच से छुटकारा दिलाती हैं मां बगलामुखी, इन मंत्रों का करें जाप

हिन्दुओं की सबसे पवित्र त्योहार शारदीय नवरात्रि 21 सितंबर से शुरू हो गए हैं. हिन्दू परंपरा के अनुसार इन 9 दिनों का विशेष महत्व होता है. देश के सभी हिस्सों में नवरात्रि 2017 पर्व की धूम है. इस बार पूरे नौ दिन के नवरात्रि हैं.

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नवरात्रि 2017: कानूनी दांव-पेच से छुटकारा दिलाती हैं मां बगलामुखी, इन मंत्रों का करें जाप

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  • September 22, 2017 9:54 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: हिन्दुओं की सबसे पवित्र त्योहार शारदीय नवरात्रि 21 सितंबर से शुरू हो गए हैं. हिन्दू परंपरा के अनुसार इन 9 दिनों का विशेष महत्व होता है. देश के सभी हिस्सों में नवरात्रि 2017 पर्व की धूम है. इस बार पूरे नौ दिन के नवरात्रि हैं. 
 
ये नवरात्रि श्रद्धालुओं के लिए खुशियों की सुगात लेकर आया है. इन नौ दिनों में भक्तों के बिगड़ें सारे काम बनेंगे. ऐसा हम इसीलिए कह रहे हैं क्योंकि शारदीय नवरात्रि 2017 इस बार महासंयोग लेकर आया है. इन नौ दिनों के बीच दुर्गा माता के सभी रूपों की पूजा की जाती है.
 
 
प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख मिलता है. उनमें से एक है बगलामुखी. मां भगवती बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है. विश्व में इनके सिर्फ तीन ही महत्वपूर्ण प्राचीन मंदिर है, जिन्हें सिद्धपीठ पीठ कहा जाता है.
 
मां बगलामुखी यंत्र मुकदमों में सफलता तथा सभी प्रकार की उन्नति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है. कहते हैं इनकी आराधना में इतनी क्षमता है कि यह भयंकर तूफान से भी टक्कर लेने में समर्थ है. आज अपने जीवन में हर व्यक्ति परेशान है. किसी को शत्रु चैन से जीने नहीं दे रहे तो किसी के प्रतिस्पर्धी परेशान कर रहे हैं. ऐसे समय में देवी की साधना करने से का नाश होता है. 
 
 
मां बगलामुखी की आराधना त 8 बजे से रात 11.30 बजे तक के बीच में करना अच्छा माना जाता है. इस साधना से आप अपने दुश्मनों से छुटकारा पा सकते हैं. मां बगलामुखी की आराधना करते समय़ पूरब की ओर मुंह करके बैठें. इस दौरान पीले कपड़े ही धारण करें.
 
इस दौरान मां के मंत्रों का जाप करना चाहिए. मां के सवा लाख मंत्रों को जाप आप किसी भी समय सीमा तक पूरी कर सकते हैं. माता की ज्योति चमेली के तेल में जलाएं. पूजा के समय पीली चीजों का इस्तेमाल करें.
 
मां बगलामुखी का मंत्र-
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुश्तानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्रवां कीलय बुद्धि विनाशाय ह्रीं ॐ फट स्वाहा।।

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