नई दिल्ली: देशभर में नवरात्र का त्योहार शुरू हो चुका है. उत्तर और पूर्वी भारत में नवरात्र नौ दिनों के लिए होता है लेकिन पश्चिम बंगाल में नवरात्र के नौवे दिन दुर्गा पूजा की जाती है. सष्टी, सप्तमी, अष्मी, नवमी ये तीन दिन खास तौर पर मां दुर्गा की विशेष पूजा होती और फिर दसवीं के दिन मां दुर्गा का विसर्जन किया जाता है.
इस दौरान कई रिती रिवाजों का भी पालन किया जाता है जिसके पीछे की कहानी शायद किसी को मालूम नहीं है. इन्हीं रीति रिवाजों में से एक रिवाज ये है कि मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए जिस मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है वो मिट्टी वेश्यालय से लाई जाती है. चौंक गए ना, जी हां समाज की उन्हीं बदनाम गलियों से मिट्टी लाकर मां दुर्गा की मूर्ति बनाई जाती है.
मान्याताओं के अनुसार दुर्गा माता की मूर्ति बनाने के लिए चार चीजों की आवश्यक्ता होती है. पहली गंगा तट से लाई हुई मिट्टी, दूसरा गौमूत्र, तीसरा गोबर और चौथा वेश्यालय की मिट्टी या फिर किसी ऐसी जगह की मिट्टी जहां जाना मना हो. इन चारों चीजों से बनी मूर्ति ही पूर्ण मानी जाती है. कहा जाता है कि इनमें से कोई एक चीज भी कम हुई तो मूर्ति पूरी नहीं बनेगी. ये रिवाज आज से नहीं बल्कि सालों से चला आ रहा है.
वेश्यालय से मिट्टी लाने का रिवाज भी बहुत अनोखा है. मान्यता है कि मंदिर का पुजारी वैश्यालय के बाहर जाकर वेश्याओं से अपने आंगन की मिट्टी मांगता है. जबतक उसे मिट्टी नहीं मिलती वो वापस घर नहीं लौटता है. वेश्या अगर मिट्टी देने से मना भी कर देती है तो भी वह झोली फैलाकर मिट्टी मांगता रहता है.
हालांकि वक्त के साथ-साथ इस प्रथा में बदलाव भी आया है. अब कई जगहों पर पुजारी की जगह मूर्तिकार वेश्यालय जाकर मिट्टी मांगते हैं. मां दुर्गा की पवित्र मूर्ति के लिए वेश्लायक के आंगन की मिट्टी लाने के पीछे कई मान्यताएं है.
– पहली मान्यता ये है कि जब कोई व्यक्ति वेश्लायल जाता है तो वह अपनी पवित्रता उसी के द्वार पर छोड़ जाता है. इसलिए वेश्यालय के आंगन की मिट्टी को सबसे पवित्र माना जाता है.
– दूसरी मान्यता ये है कि महिषासुर ने मां दुर्गा के सम्मान के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश की थी. उसने मां दुर्गा की गरिमा को ठेस पहुंचाने की कोशिश की और उसी वजह से मां ने उसका वध किया.
– तीसरी मान्यताओं के मुताबिक वेश्याओं को उनके बुरे कर्म से मुक्ति दिलवाने के लिए उनके घर से लाई मिट्टी का उपयोग मां की मूर्ति में किया जाता है. इस तरह उनके कर्म शुद्ध करने का प्रयास किया जाता है.