Navratri 2017: 21 सितंबर से हैं नवरात्र, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

शारदीय नवरात्र 21 सितंबर से शुरू हो रहे हैं. नौ दिनों तक चलने वाली इस पूजा में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. हिन्दू परंपरा के अनुसार इन 9 दिनों का विशेष महत्व होता है. मां दुर्गा की पूजा में विशेष पूजा स्थल पर ध्यान दिया जाता है.

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Navratri 2017: 21 सितंबर से हैं नवरात्र, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

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  • September 19, 2017 4:31 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. शारदीय नवरात्र  21 सितंबर से शुरू हो रहे हैं. नौ दिनों तक चलने वाली इस पूजा में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. हिन्दू परंपरा के अनुसार इन 9 दिनों का विशेष महत्व होता है. मां दुर्गा की पूजा में विशेष पूजा स्थल पर ध्यान दिया जाता है.
 
मां दुर्गा का घट-स्थापना का मुहूर्त 2017
नवरात्रों में सबसे अहम माता की चौकी होती है. जिसे शुभ मुहूर्त देखकर लगाया जाता है. माता की चौकी लगाना के लिए भक्तों के पास 21 सितंबर को सुबह 06 बजकर 03 मिनट से लेकर 08 बजकर 22 मिनट तक का समय है.
 
शारदीय नवरात्र 2017 में अखंड ज्योत का महत्व:
अखंड ज्योत को जलाने से घर में हमेशा मां दुर्गा की कृपा बनी रहता है. जरूरी नहीं कि हर घर में अखंड ज्योत जलें. दरअसल अखंड ज्योत के कुछ नियम होते हैं जिन्हें नवरात्र में पालन करना होता है. हिन्दू परंम्परा है कि जिन घरों में अखंड ज्योत जलाते है उन्हें जमीन पर सोना होता है.
 
शारदीय नवरात्र 2017 में मां के 9 रूपों की पूजा होती है.
– 21 सितंबर 2017 : मां शैलपुत्री की पूजा  
– 22 सितंबर 2017 : मां ब्रह्मचारिणी की पूजा  
– 23 सितंबर 2017 : मां चन्द्रघंटा की पूजा  
– 24 सितंबर 2017 : मां कूष्मांडा की पूजा  
– 25 सितंबर 2017 : मां स्कंदमाता की पूजा  
– 26 सितंबर 2017 : मां कात्यायनी की पूजा  
– 27 सितंबर 2017 : मां कालरात्रि की पूजा
– 28 सितंबर 2017 : मां महागौरी की पूजा  
– 29 सितंबर 2017 : मां सिद्धदात्री की पूजा 
– 30 सितंबर 2017: दशमी तिथि, दशहरा
 
कैसे करें कन्या पूजन:
कन्या पूजन करते समय ये बातें ध्यान रखेंगे तो नवरात्र के मनोरथ सिद्ध होंगे. नौ कन्याओं और एक लांगुरे को आमंत्रित करें. लांगुरे को माता के रक्षक हनुमान के रूप में बुलाया जाता है. याद रहे कि लांगुरे के बिना कन्या पूजन अधूरा रहेगा. सबसे पहले कन्याओं के पैर धोकर उन्हें आसन पर बैठाए। उनके हाथों में मौली यानी कलावा बांधें और माथे पर रोली से टीका लगाएं.

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