नई दिल्ली : हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से चार महीने के लिए भगवान विष्णु विश्राम के लिए चले जाते हैं, इस अवधि के दौरान मां लक्ष्मी पूरे संसार चलाती हैं. मां लक्ष्मी भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से आश्विन कृष्ण अष्टमी तक धरती पर वास करती हैं.
16 दिनों तक मां लक्ष्मी की पूजा होती है, पहले दिन हल्दी से रंगा 16 गांठ का रक्षासूत्र हाथ में बांधना होता है. आखिरी दिन पूजा के पश्चात सूत्र को किसी भी नदी या सरोवर में वर्सिजित कर दें. बता दें कि 16वें दिन मां लक्ष्मी का विधि विधान से उद्यापन किया जाता है.
ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा
16वें यानी की अंतिम दिन मां की मूर्ति स्थापित करें, इसके बाद मां को लाल,गुलाबी या फिर पीले रंग के रेशमी वस्त्र पहनाएं. मां लक्ष्मी की पूजा में उन्हें कमल और गुलाब के फूल जरूरी चढ़ाएं, ऐसा माना जाता है कि ये फूल मां को बेहद पंसद हैं. पूजा की थाली में पूजा पान, सुपारी, लौंग, इलायची, रोली, कुमकुम, धूप, कपूर, अगरबत्तियां जरूर शामिल करें,
मां पूरी करती हैं मनोकामनाएं
मां के इन आठ नामों का जाप पूजा करते समय जरूर करें, ऊं आद्यलक्ष्म्यै नम:, ऊं विद्यालक्ष्म्यै नम:, ऊं सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:, ऊं अमृतलक्ष्म्यै नम:, ऊं कामलक्ष्म्यै नम:, ऊं सत्यलक्ष्म्यै नम:, ऊं भोगलक्ष्म्यै नम:, ऊं योगलक्ष्म्यै नम: . बता दें कि शास्त्रों का ऐसा मानना है कि इस व्रत का संबंध महाभारत काल से है. मां अपने सभी भक्तों की हर समस्या को दूर कर उनकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.