नई दिल्ली : हर साल भाद्रपक्ष मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के रूप में मनया जाता है, क्या आप इस बात से वाकीफ है क्यों कि इसी दिन गणपति बप्पा आपके घर से विदा लेते हैं. इस साल अंनत चतुर्दशी 5 सितंबर को है.
बता दें कि इस दिन गणपति जी की पूजा के साथ-साथ विष्णु भगवान की भी पूजा की जानी चाहिए. पूजा करने के बाद बांह में 14 गांठों वाला अनंत सूत्र बांधा जाता है. आज हम आपको अपनी खबर के माध्यम से बताने जा रहे हैं कि इसके पीछे की मान्यता और महत्व क्या है.
संकट से मिलेगी मुक्ति
ऐसी मान्यता है कि पूजा करने के बाद अनंत सूत्र बांधने से मुसीबतों से रक्षा होती है, इसी के साथ साधकों का कल्याण होता है. पुरुष इसे दाहिनी बांह में व महिलाएं बायीं बांह में बांधती हैं.
महत्व
एक दिन कौणिडन्य मुनि जी ने अपनी पत्नी के हांथ पर बंधा अनंत सूत्र को तोड़ दिया और फिर उसे आग के हवाले कर दिया, उन्होंने लगा था कि ये जादू-मंतर वाली वशीकरण करने का डोरा है. मुनि जी के इस कार्य के बाद भगवान विष्णु नाराज हो गए जिसके बाद उनकी सारी संपत्ति नष्ट हो गई. जीवन की ऐसी स्थिति हो गई कि वह दीन-हीन स्थिति में आ गए और तब उन्होंने अपने अपराधझ का प्रायश्चित करने का निर्णय लिया.
निर्णय लेने के बाद वह अनंत भगवान से क्षमा मांगने के लिए वन में चले गए, रास्ते में उन्हें जो भी कुछ मिलता वह उसे अनंत देव कता पता समझकर पूछते जाते थे. काफी ढूंढने पर भी जब उन्हें अनंत भगवान के दर्शन नहीं हुए तो वह निराश हो गए और तभी उन्होंने अपने प्राण त्यागने का उद्यत हुए.