नई दिल्ली : पितरों के लिए किए जाने वाले सभी कार्य उन्हें श्राद्ध कहते हैं. आप अपने पितरों के लिए जो भी कार्य करें उसे श्रद्धापूर्वक करें, बता दें कि श्राद्ध को ही पितरों का यज्ञ कहते हैं. शास्त्रों में तीन ऋण विशेष बताए गए हैं.
देव, ऋषि और पितृ ऋण ये हैं वो तीन ऋण जो बेहद महत्व रखते हैं, श्राद्ध की क्रिया से पितरों का पितृ ऋण उतारा जाता है. विष्णु पुराण में इस बात का जिक्र किया गया है कि श्राद्ध से तृप्त होकर पितृ ऋण समस्त कामनाओं को तृप्त करते हैं.
जानें ये अहम जानकारियां
इस साल 7 से 20 सितंबर तक पितृ पक्ष रहेंगे. 7 सितंबर को प्रतिपदा, 8 सितंबर को द्वितीया, 9 सितंबर को तृतीया, 10 सितंबर को चतुर्थी एंव पंचमी,11 सितंबर को षष्ठी,12 सितंबर को सप्तमी,13 सितंबर को महालक्ष्मी व्रत, जीवत्पु़त्रिका व्रत एंव अष्टका श्राद्ध,14 सितंबर को नवमी और मातृ नवमी, श्राद्ध, 15 सितंबर को दशमी,16 सितंबर को एकादशी, 17 सितंबर को द्वादशी श्राद्ध सन्यासियों, यति वैष्णवों का श्राद्ध मनाना चाहिए, 18 सितंबर को त्रयोदशी एंव मघा, 19 सितंबर को चतुर्दशी, 20 सितंबर को स्नानदानश्राद्धिद की अमावस्या, पितृ विसर्जन, सर्वपैत्री महालया समाप्त एंव आज के दिन जिन लोगों की मृत्यु की तिथि नहीं ज्ञात है, उनका श्राद्ध मनाना चाहिए.